रणजी के लिए छोड़ी वायुसेना की नौकरी, अब इस खिलाड़ी को मिली भारतीय टेस्ट टीम में जगह

Webdunia
रविवार, 20 फ़रवरी 2022 (17:35 IST)
नई दिल्ली:सात साल पहले 21 साल के सौरभ कुमार को भी करियर को लेकर हुई दुविधा का सामना करना पड़ा था कि वह अपने जुनून को चुनें या फिर अपना भविष्य सुरक्षित करें।

खेल कोटे पर भारतीय वायुसेना में कार्यरत सौरभ दुविधा में थे। उन्हें सभी भत्तों के साथ केंद्र सरकार की नौकरी मिल गयी थी। लेकिन उनके दिल ने उन्हें प्रेरित किया कि वह पेशेवर क्रिकेट खेलें और भारतीय टीम में जगह हासिल करने की ओर बढ़े।

उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के इस क्रिकेटर ने कहा, ‘‘सेना के लिये रणजी ट्राफी खेलना छोड़ने का फैसला करना बहुत मुश्किल था। मुझे भारतीय वायुसेना और भारतीय सेना का हिस्सा होना पसंद था। लेकिन अंदर ही अंदर मैं कड़ी मेहनत करके भारत के लिये खेलना चाहता था। ’’उन्होंने कहा, ‘‘मैं दिल्ली में कार्यरत था। मैं एक साल (2014-15 सत्र) सेना के लिये रणजी ट्राफी में खेला था जब रजत पालीवाल हमारा कप्तान था। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘क्योंकि मैंने खेल कोटे से प्रवेश किया था तो मुझे सेना के लिये खेलने के अलावा कोई ड्यूटी नहीं करनी पड़ती थी। अगर मैंने क्रिकेट छोड़ दिया होता तो मुझे ‘फुल टाइम’ ड्यूटी करनी होती। ’’

पिता हैं ऑल इंडिया रेडियो में

मध्यम वर्ग के परिवार से ताल्लुक रखने वाले सौरभ के पिता ‘ऑल इंडिया रेडियो’ में जूनियर इंजीनियर के तौर पर काम करते थे। उनके माता-पिता हालांकि हर फैसले में पूरी तरह साथ थे।

उन्होंने कहा, ‘‘जब मैंने अपने माता-पिता को भारतीय वायुसेना की नौकरी छोड़ने के बारे में बताया तो उन्हें एक बार भी मुझे फिर से विचार करने को नहीं कहा। दोनों मेरे साथ थे जिससे मुझे अपने सपने की ओर बढ़ने का आत्मविश्वास मिला। ’’

सौरभ ने अपने शुरूआती दिनों के बारे में बात करते हुए कहा, ‘‘अब हम गाजियाबाद में रहते हैं लेकिन दिल्ली में क्रिकेट खेलने के शुरूआती दिनों में मुझे नेशनल स्टेडियम में ट्रेनिंग के लिये रोज दिल्ली आना पड़ता था क्योंकि तब हम बागपत के बड़ौत में रहते थे, वहां कोचिंग की अच्छी सुविधायें मौजूद नहीं थी। ’’

महिला क्रिकेटर हैं कोच

सौरभ की कोच सुनीता शर्मा हैं जो द्रोणाचार्य पुरस्कार द्वारा सम्मानित एकमात्र महिला क्रिकेटर हैं। उनके एक अन्य शिष्य पूर्व विकेटकीपर दीप दासगुप्ता हैं।

सौरभ ने कहा, ‘‘अगर मुझे नेट पर दोपहर दो बजे अभ्यास करना होता था तो मैं सुबह 10 बजे घर से निकलता। ट्रेन से तीन-साढ़े तीन घंटे का समय लगता जिसके बाद स्टेडियम पहुंचने में आधा घंटा और। फिर वापस लौटने में भी इतना ही समय लगता। यह मुश्किल था। लेकिन जब मैं मुड़कर देखता हूं तो इससे मुझे काफी मदद मिली। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘जब आप 15-16 साल के होते हैं तो आपको महसूस नहीं होता। आपमें जुनून होता है, कि कुछ भी आपको मुश्किल नहीं लगता है। ’’

बिशन सिंह बेदी से मिलना रहा टर्निंग प्वाइंट

सौरभ के लिये एक ‘टर्निंग प्वाइंट’ महान क्रिकेटर बिशन सिंह बेदी से गेंदबाजी के गुर सीखना रहा जो उन दिनों ‘समर कैंप’ आयोजित किया करते थे और काफी सारे युवा क्रिकेटर इसमें अभ्यास करते थे।

सौरभ ने कहा, ‘‘बेदी सर ने मेरी गेंदबाजी में जो देखा, उन्हें वो चीज अच्छी लगती थी। उन्होंने मुझे ‘ग्रिप’ और छोटी छोटी अन्य चीजों के बारे में बताया। उन्होंने ज्यादा बदलाव नहीं किया क्योंकि उन्हें मेरा एक्शन और मैं जिस क्षेत्र में गेंदबाजी करता था, वो पसंद था। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘उन ‘समर कैंप’ में एक चीज हुई कि मुझे सैकड़ों ओवर गेंदबाजी करने का मौका मिला। बेदी सर का एक ही मंत्र था, ‘मेहनत में कमी नहीं होनी चाहिए’। ’’(भाषा)

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Mumbai Indians : 5 बार की चैंपियन मुंबई 5 मैच जीतने के लिए तरसी, जानिए 5 कारण

PCB चीफ का बड़ा ऐलान, विश्वकप जीते तो हर पाकिस्तानी खिलाड़ी खेलेगा करोड़ों से

BCCI Press Conference : विराट कोहली के स्ट्राइक रेट के बारे में चिंता करने वाले लोगों को चयनकर्ता ने दिया करारा जवाब

MS Dhoni ने CSK के इस खिलाड़ी के लिए निभाया है एक पिता का रोल

हार्दिक पंड्या के T20 World Cup में उपकप्तान होने से खुश नहीं है इरफान पठान

हैदराबाद और गुजरात मैच हुआ रद्द, दिल्ली, लखनऊ प्लेऑफ से हुए बाहर

जीत के साथ IPL 2024 से विदा लेना चाहेंगे मुंबई इंडियंस और लखनऊ सुपर जाइंट्स

गेंद और बल्ले के साथ सैम बहादुर निभा रहे हैं पंजाब की कप्तानी भी

T20I World Cup में कर्नाटक का डेयरी कंपनी नंदिनी बनी स्कॉटलैंड टीम की स्पॉंसर

कोहली समेत क्रिकेट जगत के सितारों ने सुनील के संन्यास पर कहा "Legend"

अगला लेख