'रियो' के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाईं कृष्णा पूनिया

Webdunia
रविवार, 10 जुलाई 2016 (20:23 IST)
नई दिल्ली। शीर्ष भारतीय चक्का फेंक एथलीट कृष्णा पूनिया रियो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने में असफल रही। वह अमेरिका में प्रतियोगिता में क्वालीफाइंग मानक तक नहीं पहुंच सकी।
राष्ट्रमंडल खेलों में ट्रैक एवं फील्ड में व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाली एकमात्र भारतीय 34 वर्षीय पूनिया आज अमेरिका में अपने अंतिम टूर्नामेंट में 57.10 मीटर चक्का फेंककर पहले स्थान पर रहीं लेकिन वह रियो क्वालीफिकेशन मार्क से काफी नीचे रहा। ओलंपिक क्वालीफिकेशन मार्क 61 मीटर है और रियो ओलंपिक के लिए जगह बनाने की अंतिम तारीख सोमवार तक ही है।
 
पिछले दो महीनों से पूनिया खेल मंत्रालय की ‘टारगेट ओलंपिक पोडियम’ योजना (टीओपीएस) अमेरिका में ट्रेनिंग कर रही हैं और वहीं प्रतियोगिताओं में भाग ले रही हैं। उनका सर्वश्रेष्ठ प्रयास 59.49 मीटर का रहा है। पूनिया का व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ और राष्ट्रीय रिकॉर्ड 64.76 मीटर का है जो उन्होंने 2012 में बनाया था। उन्होंने 61.51 मीटर के थ्रो से 2010 दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों का स्वर्ण पदक जीता था।
 
पूनिया तीन ओलंपिक 2004, 2008 और 2012 में भाग ले चुकी हैं। वह भारत के उन ट्रैक एवं फील्ड एथलीटों में शामिल हैं जिन्होंने ओलंपिक में किसी स्पर्धा के फाइनल राउंड में क्वालीफाई किया है। वह 2012 लंदन ओलंपिक में छठे स्थान पर रही थीं।
 
पूनिया ने कहा, मैंने रियो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया लेकिन अंत में मैं ऐसा नहीं कर सकी। मुझे लगता है कि पिछले साल घुटने की सर्जरी के बाद अपना सर्वश्रेष्ठ करने के लिए मुझे वापसी करने का काफी समय नहीं मिला।  
 
उन्होंने कहा, मैं अब 2018 राष्ट्रमंडल खेलों और एशियाई खेलों पर ही ध्यान लगाऊंगी। पूनिया ने कहा, मैं खेल मंत्रालय और भारतीय खेल प्राधिकरण को मेरा सहयोग करने के लिए शुक्रिया अदा करूंगी जिन्होंने अमेरिका में मुझे ट्रेनिंग करने और प्रतियोगिता में भाग लेने की अनुमति दी। मैं रियो ओलंपिक में भाग लेने वाले देश के सभी खिलाड़ियों के लिए सफलता की कामना करती हूं। (भाषा)
Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

लीड्स की हार का एकमात्र सकारात्मक पहलू: बल्लेबाजी में बदलाव पटरी पर

ICC के नए टेस्ट नियम: स्टॉप क्लॉक, जानबूझकर रन पर सख्ती और नो बॉल पर नई निगरानी

बर्फ से ढंके रहने वाले इस देश में 3 महीने तक फुटबॉल स्टेडियमों को मिलेगी 24 घंटे सूरज की रोशनी

The 83 Whatsapp Group: पहली विश्वकप जीत के रोचक किस्से अब तक साझा करते हैं पूर्व क्रिकेटर्स

क्या सुनील गावस्कर के कारण दिलीप दोषी को नहीं मिल पाया उचित सम्मान?

अगला लेख