गोल्ड कोस्ट। सुशील कुमार ने गुरुवार को यहां राष्ट्रमंडल खेलों में लगातार तीसरा स्वर्ण पदक जीतने के बाद इनकी तैयारियों के दौरान चयन विवाद और उनकी फिटनेस पर उठे सवालों के बारे में दार्शनिक अंदाज में उत्तर देते कहा कि ‘वो भी एक दौर था और यह भी एक दौर है’।
दो बार के ओलंपिक पदकधारी और भारत के सबसे सफल पहलवान सुशील ने स्वर्ण पदक जीतने के लिए आज मैट पर महज 10 मिनट बिताए। उनके चयन को लेकर काफी विवाद हुआ था, जिसमें प्रतिद्वंद्वी पहलवान ने चयन ट्रायल के दौरान उनके समर्थकों द्वारा हिंसा करने का आरोप भी लगाया था, लेकिन यह प्रदर्शन उन सभी के लिए करारा जवाब था।
सुशील करीब दो घंटे तक किसी न किसी बहाने से मीडिया को टालते रहे, उन्होंने कहा, मैं पुरानी बातों को याद नहीं रखता, क्योंकि वो पुराना दिन वापस नहीं आता। आज जो मैंने पदक जीता है, वो कल नहीं होगा। वह भी एक दौर था और यह भी एक दौर है।
जब दिल्ली में हुए ट्रायल्स के दौरान उनके समर्थकों की उनके प्रतिद्वंद्वी प्रवीण राणा के समर्थकों के बीच हिंसा संबंधित सवालों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, यह सब जिंदगी का हिस्सा है। यह अच्छा है कि लोग मुझसे इतनी उम्मीदें करते हैं।
सुशील ने कहा, जीवन में आप जिस क्षण घर से बाहर कदम रखते हो तो आपके लिए समस्याएं इंतजार कर रही होती हैं। कभी-कभार आपको बस नहीं मिलती। अगर आपको बस मिल जाती है तो आप ट्रैफिक में फंस जाते हो। ये चीजें होती रहती हैं। (भाषा)