सौरव गांगुली : प्रोफाइल

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सौरव चंडीदास गांगुली पूर्व भारतीय क्रिकेटर और क्रिकेट टीम के कप्तान हैं। गांगुली को प्यार से दादा कहकर बुलाया जाता है जिसका बंगाली में मतलब बड़ा भाई होता है। गांगुली को प्रिंस ऑफ कोलकाता, द महाराजा, द गॉड ऑफ द ऑफ साइड, दादा, द वारियर प्रिंस के नाम से भी पुकारा जाता है। वर्तमान में वह कैब के प्रेसिडेंट हैं और विस्डेन इंडिया के साथ इडिटोरियल बोर्ड के प्रेसिडेंट भी हैं। 
बचपन 
 
गांगुली का जन्म बंगाल के अतिप्रतिष्ठित ब्राहम्ण परिवार में हुआ। क्रिकेट का चस्का गांगुली को लगाने वाले उनके बड़े भाई स्नेहाशीष थे। गांगुली को भारत के कुछ बेहद सक्सेसफुल कप्तानों में से एक माना जाता है इसके अलावा वह क्रिकेट जगत के कुछ बेहद सफल बल्लेबाजों में से एक हैं। गांगुली बंगाल टीम के लिए खेलते रहे और उन्हें क्रिकेट एसोसिएशन बंगाल की क्रिकेट डेवलेपमेंट कमेंटी का चेयरमैन नियुक्त किया गया। 
 
रिकॉर्ड  
 
बाएं हाथ के बल्लेबाज गांगुली के नाम 11,000 से भी अधिक रन बनाने का रिकॉर्ड है। गांगुली की कप्तानी में टीम इंडिया ने 49 में से 21 मैच जीते हैं। गांगुली की कप्तानी में भारतीय टीम आठवें नंबर से दूसरे नंबर पर पहुंची। गांगुली स्वभाव से तेज माने गए और उनकी कप्तानी में टीम इंडिया में फायटिंग करने की प्रवृत्ती बढी। सौरव गांगुली सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई जस्टिस मुद्गल कमीटी प्रोब पैनल के सदस्य हैं जो आईपीएल स्पोट फिक्सिंग और बेटिंग स्कैंडल की जांच कर रही है। वह आईपीएल की गवर्निंग काउंसिल के सदस्य भी हैं। 
 
गांगुली बांए हाथ के बल्लेबाज हैं जिनके रन अधिकतर ऑफ साइड से बनते हैं। राहुल द्रविड गांगुली को भगवान के बाद ऑफ साइड में सबसे बेहतरीन मानते हैं। गांगुली राइट-आर्म मीडियम पेस बॉलर हैं। वह बॉल को स्विंग और सीम करा सकते हैं। कई बार उनकी बॉलिंग पार्टनशिप तोड चुकी है। सौरव गांगुली की बॉयोग्राफी लिखने वाले विनोद तिवारी कहते है कि गांगुली बहुत एथलेटिक नहीं होने के बावजूद एक दिवसीय मैचों में 100 से अधिक कैच पकड़ चुके हैं। 
 
करियर  
 
गांगुली ने करियर की शुरूआत स्टेट और स्कूल टीम में खेलने के साथ की। उनके नाम एक दिवसीय मैचों में आठवें नंबर सबसे अधिक रन बनाने का रिकार्ड है। वह तीसरे ऐसे बल्लेबाज थे जिसने 10,000 रनों के लैंडमार्क को छुआ था। उनसे पहले सचिन तेंदुलकर और इंजमाम उल हक ने 10,000 से अधिक रन बनाए थे। 
 
2002 में विस्डेन क्रिकेटर्स के एल्मानेक ने उन्हें दुनिया का छठवां सबसे बेहतर बल्लेबाज करार दिया। उनसे पहले सचिन तेंदुलकर, विवियन रिचर्डस, ब्रायन लारा, डीन जोंस और माइकल बेवन बढ़िया बल्लेबाज रहे हैं। 
 
गांगुली रंजी और दुलीप ट्रॉफीज के लिए खेल रहे थे जब भारत के इंग्लैंड दौरे के लिए उन्हें भारतीय टीम में शामिल किया गया। यहां उन्होंने 131 रन बनाए और राष्ट्रीय टीम में अपनी जगह पक्की की।
 
 
1999 क्रिकेट वर्ल्ड कप में राहुल द्रविड के साथ मिलकर गांगुली ने 318 रन की पार्टनरशिप की जो वर्ल्डकप के इतिहास का सबसे अधिक स्कोर है। 2000 में टीम के कुछ खिलाड़ी मैच फिक्सिंग में फंसे और उस समय के कप्तान सचिन तेंदुलकर ने कप्तानी छोड़ दी जिसके बाद गांगुली को कप्तान नियुक्त किया गया। गांगुली की 2006 में टीम में वापसी हुई और उनका बल्लेबाज के तौर पर प्रदर्शन निराशाजनक रहा। इस दौरान टीम के टीम के कोच ग्रेग चैपल के साथ विवाद भी रहा जिनके पीछे कई वजहें थीं। गांगुली को फिर टीम इंडिया से बाहर कर दिया गया। 2007 में फिर गांगुली ने टीम में वापसी की। गांगुली बंगाल टीम के लिए खेलते रहे और उन्हें क्रिकेट एसोसिएशन बंगाल की क्रिकेट डेवलेपमेंट कमेंटी का चेयरमैन नियुक्त किया गया। 
 
कप्तानी 
 
कप्तान बनने के बाद, मीडिया में गांगुली की निंदा की गई क्योंकि 2002 में हुई नेटवेस्ट सीरिज के बाद गांगुली अपनी शर्ट निकाल कर सेलेब्रेट कर रहे थे।  गांगुली कोलकाता नाइट राइडर्स टीम के कप्तान के तौर पर 2008 के आईपीएल में ट्वंटी ट्वंटी फॉर्मेट में खेला। इसी साल गांगुली ने अंतराष्ट्रीय क्रिकेट से अपने रिटायर्डमेंट की घोषणा की। 
 
करियर में गिरावट 
 
गांगुली 2003 के वर्ल्डकप में कप्तान थे जहां फायनल में टीम इंडिया को ऑस्ट्रेलिया ने हरा दिया। गांगुली बल्लेबाज के तौर पर भी अच्छा नहीं कर पा रहे थे। गांगुली को टीम में जगह नहीं दी गई। 
 
अवार्ड 
 
2004 में गांगुली को पद्मश्री (भारत का सबसे उच्च सिविलियन अवार्ड) दिया गया। पश्चिम बंगाल की सरकार ने उन्हें बंगा बिभुषन अवार्ड से नवाजा। 
 
 
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