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'करोड़पति पहलवान' बने सुशील कुमार

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नई दिल्ली (वेबदुनिया न्यूज) , गुरुवार, 21 अगस्त 2008 (12:21 IST)
बीजिंग ओलिम्पिक खेलों की कुश्ती प्रतियोगिता में 66 किलोग्राभावर्मेकाँस्य पदक जीतने वाले भारतीय पहलवान सुशील कुमार की इस नायाब उपलब्धि पर दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने उन्हें 50 लाख रुपए का पुरस्कार देने की घोषणा की है। रेल मंत्रालय भी इस होनहार पहलवान को पुरस्कार स्वरूप 55 लाख रुपए प्रदान करेगा।

इसी के साथ अन्य इनामों की बारिश हो गई और देखते ही देखते वे भारत के 'करोड़पति पहलवान' बन गए। इस्पात मंत्री रामविलास पासवान ने 15 लाख के पुरस्कार देने का ऐलान किया है।

जिस तरह ओलिम्पिक में 10 मीटर निशानेबाजी में अभिनव बिंद्रा ने ओलिम्पिक में स्वर्ण पदक जीतने पर इनामों की बरसात हुई थी, ठीक उसी तर्ज पर सुशील कुमार की जीत पर भी इनामों की घोषणा लगातार जारी है।

सुशील की इस जीत पर मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने कहा कि उन्हें इतनी खुशी है कि उनके पास इसे व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं हैं। उन्होंने कहा कि जब भी वे स्वदेश लौटेंगे, एक सम्मान समारोह आयोजित किया जाएगा। इस समारोह में उनके कोच सतपाल को भी आमंत्रित किया जाएगा।

देशभर से सुशील कुमार को बधाई संदेश आने प्रारंभ हो गए हैं। बीजिंग में जब पदक वितरण समारोह हो रहा था, तब पदक विजेता सुशील कुमार बेहद शांत थे। विजेताओं को पोलवॉल्ट के बादशाह सर्गेई बुबका ने पदक वितरित किए।

बीजिंग में सुशील के साथी पहलवान योगेश्वर दत्त ने कहा कि जब सुशील पहले हार गया था तो काफी निराश था, लेकिन उसे इस बात की खुशी थी कि सर्गेई से हारे जरूर, लेकिन वही पहलवान फाइनल तक पहुँचा।

रेलवे देगा 55 लाख रुपए : रेलवे में कार्यरत सुशील कुमार को केन्द्रीय रेलमंत्री लालूप्रसाद यादव ने 55 लाख रुपए के पुरस्कार के साथ ही अफसर बनाने की घोषणा कर दी है। रेलमंत्री ने सुशील के माता-पिता को भी इस सफलता पर बधाई दी।

हरियाणा सरकार देगी 25 लाख : सुशील कुमार के लिए हरियाणा सरकार ने भी नकद पुरस्कार का ऐलान किया है। प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेन्दरसिंह हुड्‍डा ने उन्हें 25 लाख रुपए दिए जाने की घोषणा की है।

रामविलास पासवान ने की 15 लाख की घोषणा : इस्पात मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि वाकई यह गर्व की बात है कि सुशील ने देश का गौरव बढ़ाया है। सुशील की इस कामयाबी पर सेल ने उन्हें 15 लाख रुपए का पुरस्कार देने की घोषणा की है।

बधाइयों का ताँता लगा : सुशील कुमार को राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहनसिंह, लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने पदकीय सफलता पर पूरे देश की तरफ से बधाई दी है।

खली ने सुशील को दी बधाई : ओलिम्पिक काँस्य पदक जीतने पर दलीपसिंह राणा उर्फ खली ने भी सुशील कुमार को बधाई दी है। खली ने कहा कि हिन्दुस्तान के लिए यह बहुत गर्व की बात है कि कोई पहलवान ओलिम्पिक में काँसे का पदक जीते। यदि इस तरह के खेलों को प्रोत्साहन मिले तो भारतीय खिलाड़ी और भी पदक जीत सकते हैं। इस जीत से दूसरे पहलवानों को भी प्रेरणा मिलेगी।

पिता दीवानसिंह की प्रतिक्रिया : जीत के बाद सुशील कुमार के पिता दीवानसिंह ने कहा कि हमारा ताल्लुक किसान परिवार से रहा है। देश में किसानों की क्या हालत है यह किसी से नहीं छुपा है। मैंने परिवार का पेट काटकर सुशील को पहलवान बनाया है। उसी पर सब कुछ न्योछावर किया। मुझे तो स्वर्ण पदक की आशा थी, लेकिन उसके काँस्य पदक मिलने से भी मैं खुश हूँ।

दीवानसिंह के अनुसार पहली बाउट वह अकस्मात हार गया था, लेकिन बाद में उसने सब कमी पूरी कर दी। उन्होंने बताया कि सुशील की बचपन से ही कुश्ती में रुचि थी। बाद में वह छत्रपाल स्टेडियम में महाबली सतपाल के पास चला गया। यही कारण है कि उसने यह काँस्य पदक अपने गुरु सतपाल पहलवान को समर्पित किया है।

उन्होंने यह भी बताया कि सुशील की एशियाड में अच्छी तैयारी थी, लेकिन वह पदक नहीं जीत सका। मेरा सपना था कि वह स्वर्ण जीते, लेकिन यह संभव नहीं हो सका। उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय मीडिया क्रिकेट और टेनिस को ही परोसता है, जबकि कुश्ती का खेल तो महाभारत काल से चला आ रहा है।

उन्होंने यह भी कहा कि कुश्ती को सुविधा नहीं मिलती है। देश में कुश्ती मैट का अभाव है। पहलवान गाँव में मिट्‍टी के अखाड़ों के बाद मैट पर अभ्यास करने जाते हैं। यदि उन्हें बचपन में ही मैट मिले तो भारत से कई पदक जीतने वाले ओलिम्पिक पहलवान मिल सकते हैं।

दो पदक आने का यह पहला अवसर : 1947 में आजादी मिलने के बाद भारतीय ओलिम्पिक इतिहास में यह पहला मौका है, जब ओलिम्पिक में भारत को एक साथ दो व्यक्तिगत पदक मिले हैं। इससे पहले कभी हॉकी में तो कभी अन्य खेलों में एक-एक ही पदक भारत ने जीते हैं। 1952 में एक ही ओलिम्पिक में भारत ने 2 पदक जरूर जीते थे, लेकिन तब भारत को हॉकी में स्वर्ण और कुश्ती में काँस्य पदक मिला था।

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