Dharma Sangrah

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

600 रुपए की तेजी के साथ 1,00,620 रुपए प्रति 10 ग्राम पर पहुंचा सोना, चांदी में 1,500 की तेजी

Advertiesment
हमें फॉलो करें Gold

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

नई दिल्ली , गुरुवार, 21 अगस्त 2025 (19:06 IST)
स्टॉकिस्टों की ताजा लिवाली के बीच गुरुवार को राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में सोने की कीमत 600 रुपए बढ़कर 1,00,620 रुपए प्रति 10 ग्राम हो गई। अखिल भारतीय सर्राफा संघ ने यह जानकारी दी। 99.9 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने की कीमत बुधवार को 1,00,020 रुपए प्रति 10 ग्राम पर बंद हुई थी।
 
राष्ट्रीय राजधानी में, 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना बृहस्पतिवार को 500 रुपए बढ़कर 1,00,200 रुपए प्रति 10 ग्राम (सभी करों सहित) हो गया। पिछले सत्र में यह 99,700 रुपए प्रति 10 ग्राम रहा था।
 
पिछले सत्र में सोने की कीमत तीन सप्ताह के निचले स्तर पर गिरने के बाद, सुरक्षित निवेश की मांग और सौदेबाज़ी की खरीदारी के चलते बृहस्पतिवार को सोने की कीमतों में तेज़ी आई।
 
एचडीएफसी सिक्योरिटीज़ के वरिष्ठ विश्लेषक (जिंस) सौमिल गांधी ने कहा, ‘‘राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा फ़ेडरल रिज़र्व के गवर्नर के इस्तीफ़े की मांग से सुरक्षित निवेश की नई मांग को बढ़ावा मिला, जिससे केंद्रीय बैंक की स्वतंत्रता को लेकर चिंताएं बढ़ गईं।’’
 
गांधी ने आगे कहा कि इस टिप्पणी के बाद, अमेरिकी डॉलर अपने हालिया उच्चस्तर से नीचे गिर गया, जिससे सोने की कीमतों को और समर्थन मिला।
 
संघ के अनुसार, इसके अलावा गुरुवार को चांदी की कीमत 1,500 रुपए बढ़कर 1,14,000 रुपए प्रति किलोग्राम (सभी करों सहित) हो गई। बुधवार को यह 1,12,500 रुपए प्रति किलोग्राम पर बंद हुई थी। अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में, न्यूयॉर्क में हाजिर सोना 0.28 प्रतिशत की गिरावट के साथ 3,339.04 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रहा था।
 
कोटक सिक्योरिटीज में एवीपी जिंस शोध, कायनात चैनवाला ने कहा, ‘‘सोना 3,340 डॉलर प्रति औंस के आसपास स्थिर बना हुआ है क्योंकि निवेशक बेरोज़गारी दावे, पीएमआई और मौजूदा घरों की बिक्री सहित प्रमुख अमेरिकी वृहद आर्थिक आंकड़ों का इंतज़ार कर रहे हैं।’’
 
उन्होंने कहा कि हालांकि, मुख्य ध्यान जैक्सन होल संगोष्ठी में फेडरल रिजर्व के प्रमुख जेरोम पावेल के भाषण पर बना हुआ है क्योंकि निवेशक मौद्रिक नीति में बदलाव के संकेतों पर कड़ी नज़र रख रहे हैं, खासकर पिछले साल की टिप्पणियों के बाद, जिसमें ब्याज दरों में कटौती के चक्र की शुरुआत का संकेत दिया गया था।’’
 
इस बीच, अमेरिकी फेडरल रिजर्व की जुलाई की बैठक के ब्योरे से पता चला है कि अधिकारी मुद्रास्फीति और श्रम बाजार को लेकर सतर्क हैं, और अधिकांश का मानना ​​है कि ब्याज दरों में कटौती करना अभी जल्दबाजी होगी। भाषा Edited by : Sudhir Sharma

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

ESIC ने जून में 19.37 लाख नए सदस्य जोड़े