कुछ शुद्ध सत्कप्रकृति के दर्पण इन शांतिपूर्ण शीतल, सुंदर, गहन, मर्मभेदी, स्वाधीन, खोजपूर्ण विचारों को परावर्तिक कर, पुन: तब तक ग्रहण करते रहेंगे जब तक कि उन सभी के स्वरों के बीच सामंजस्य नहीं स्थापित हो जाता। फिर दूसरे लोग इसे यथासंभव बाह्य जगत में प्रसारित करने का प्रयास करेंगे।
पूर्णता का मार्ग यह है कि स्वयं पूर्ण बनने का प्रयत्न करना तथा कुछ थोड़े से नर नारियों को पूर्ण बनाने का प्रयत्न करना। भला करने से मेरा यह तात्पर्य है कि कुछ असधारण योग्यता के लोगों का विकास करूं कि भैंस के आगे बीन बजाकर समय, स्वास्थ्य और शक्ति का अपव्यय करूं।
अब और व्याख्यान देने की मुझे परवाह नहीं। किसी व्यक्ति अथवा किसी श्रोतृमंडली की सनक के अनुसार मुझे परिचालित कराने का यह प्रयास बड़ा ही विरक्तिकर है।