अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद से ही अफगानिस्तान में भय का माहौल बना हुआ है। तालिबान के राज के बाद दुनिया के तमाम देश अपने नागरिकों को लाने के लिए मिशन चला रहे हैं। अफगान नागरिक भी तालिबान के शासन को लेकर खौफ में हैं और देश छोड़ने के लिए काबुल एयरपोर्ट पर जमे हुए हैं। एयरपोर्ट से ऐसी तमाम तस्वीरें आईं जिनमें अपनी जान की परवाह न करते हुए अफगान युवा देश को छोड़ने के लिए हवाई जहाजों पर लटक रहे हैं। भारत भी नागरिकों को निकालने के लिए मिशन मोड में हैं।
अफगानिस्तान में कार्यरत भारतीय नागरिकों के लाने के लिए प्लेन अफगानिस्तान आ रहे हैं। इस प्लेन में भारतीय नागरिकों के साथ अफगान में रहने वाले नागरिक भी हैं, जिनमें नेता और अधिकारी शामिल हैं। वे तालिबान के जुल्मों का दर्द बयां कर रहे हैं।
अफगानी नागरिकों को भारत में शरण देने को लेकर लोग सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। हैशटैग #हिन्दुस्तान धर्मशाला नहीं है ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा है। लोगों का कहना है कि ये शरणार्थी आने वाले समय में भारत में नागरिकता के लिए प्रदर्शन करेंगे। वे अपने अधिकार भी मांगेंगे, जिससे देश के अशांति का माहौल भी हो सकता है।
भारत ने शरणार्थियों पर 1951 के कन्वेंशन या शरणार्थियों की स्थिति से संबंधित 1967 के प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। इसके बावजूद भारत ने एक अच्छे पड़ोसी होने का प्रदर्शन करते हुए हजारों की संख्या में अफगान नागरिकों को शरण दी है। लगभग हर दिन अफगानिस्तान से सिविल और सैन्य एयरक्राफ्ट के जरिए अफगान नागरिकों को भारत लाया जा रहा है।
इनमें महिलाओं और अफगान नेताओं की संख्या अधिक है। पिछले हफ्ते जब अफगानिस्तान में संकट बढ़ता दिखा तब भारत ने देश में प्रवेश के लिए वीजा के आवेदनों को ट्रैक करने के लिए ई-वीजा की एक नई श्रेणी शुरू की थी। इसके जरिए जारी हुआ वीजा 6 महीनों तक वैध होता है। जिसके बाद बड़ी संख्या में अफगान नागरिकों ने अपना रजिस्ट्रेशन भी करवाया हुआ है।