शिक्षक दिवस कल और आज...

नूपुर दीक्षित
कहते हैं कि शिक्षक उस मोमबत्ती की तरह होता है, जो खुद जलकर दूसरों को प्रकाश देती है। भारतीय संस्‍कृति में गुरु को ईश्‍वर से भी श्रेष्‍ठ बताया गया है क्योंकि ईश्‍वर तक पहुँचने का या पाने का मार्ग गुरु द्वारा ही बताया गया है ।

शब्‍दों के इस मायाजाल से परे आज के शिक्षक आज स्‍वयं के बारे में, ‘शिक्षक दिव स ’ के बारे में क्‍या सोचते है ं? यही जानने का हमने किया एक प्रयास।

WDWD
समय बदला है, मूल्‍य नही ं
इस बारे में राजस्‍थान के चित्तौड़गढ़ की शिक्षिका सुरेखा शर्मा कहती हैं कि आज भी समाज में शिक्षकों के प्रति सम्‍मान बरकरार है। मुझे लगता है कि समय के साथ-साथ छात्रों का आभार प्रकट करने का तरीका बदल गया है लेकिन मूल भावना आज भी वैसी ही है, जैसी पहले हुआ करती थी। मैंने महसूस किया है कि अक्‍सर स्‍कूल या कॉलेज छोड़ देने के बाद विद्यार्थियों को अपने शिक्षकों के प्रति जुड़ाव महसूस होता है। यही एक शिक्षक के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि भी होती है कि सैकड़ों बच्‍चे उम्रभर उसकी स्‍मृतियों को सँजोए रखते हैं।

WDWD

शिक्षक और छात्र दोनों के मन में हो विश्वास
जिला शिक्षा अधिकारी के पद पर कार्यरत माया मालवीय का कहना है कि आज यदि हम यह कहते हैं कि समाज में शिक्षकों के प्रति सम्‍मान घटा है, तो हमें इसके कारणों की भी पड़ताल करनी होगी। जहाँ शिक्षकों ने अपने कार्य के प्रति समर्पण कम किया है वहीं उनके प्रति सम्‍मान में कमी आई है लेकिन जो शिक्षक आज भी विद्यादान के प्रति समर्पित हैं उन्‍हें अपने विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों से सम्‍मान मिल रहा है।

WDWD
आत्‍मविश्‍लेषण करें शिक्षक
विगत दस वर्षों से शिक्षा जगत से जुड़ी मौसमी जोशी का कहना है कि शिक्षक दिवस पर शिक्षकों को भी आत्‍मविश्‍लेषण करना चाहिए। अगर आज समाज में‍ शिक्षकों का सम्‍मान कम हुआ है तो इसके लिए कुछ हद तक जिम्‍मेदार शिक्षक भी हैं। आज शिक्षा महँगी जरूर हो गई है लेकिन उसके मूल्‍य घट रहे हैं। मैंने कई बार अनुभव किया कि खुद शिक्षक ही छात्रों को पढ़ाने में अक्षम्‍य गलतियाँ कर रहे हैं। ऐसे में यदि उनके प्रति सम्‍मान कम होता है तो इसकी जिम्‍मेदारी छात्रों पर या समाज पर नहीं थोपी जा सकती है।

WDWD
तोहफे नहीं भावनाओं का महत्‍व
शिक्षा के क्षेत्र में योगदान के लिए कई पुरस्‍कारों से सम्‍मानित हो चुकी शिक्षिका संगीता विनायका का मानना है कि आज के बच्‍चे सेलिब्रेशन पर ज्‍यादा ध्‍यान देते हैं, उनके लिए शिक्षक दिवस एक कार्यक्रम की तरह है। फिर भी इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि आज भी विद्यार्थियों के मन में अपने शिक्षक के प्रति सम्‍मान है। यदि शिक्षक अपने विद्यार्थियों से दिल से जुड़े हों तो बदले में उन्‍हें अपने विद्यार्थियों से भी बेहद प्‍यार और सम्‍मान मिलता है।

WDWD
शिक्षक शब्द से जुड़ी गरिमा को पहचाने ं
तेईस वर्षों से शिक्षण कार्य से जुड़ी हेमा दीक्षित का मानना है कि छात्र, शिक्षक का सम्‍मान करते हैं या नहीं। यह इस बात पर निर्भर करता है कि शिक्षक के साथ किसी छात्र का अनुभव कैसा ह ै? यदि शिक्षक छात्रों के मनोभावों का समझें और उनके स्‍तर पर जाकर उन्‍हें कुछ ‍सिखाने या समझाने की कोशिश करे तो उसे भी अपने विद्यार्थियों से बहुत इज्‍जत और प्‍यार मिलता है। दूसरी ओर शिक्षकों को भी चाहिए कि वे ‘शिक्ष क ’ शब्‍द के साथ जुड़ी गरिमा और उत्‍तरदायित्‍व को समझें और छात्र को केवल पाठ ना पढ़ाए, उसे जीने का सलीक ा ‍ िसखाएँ।
Show comments

शिशु को ब्रेस्ट फीड कराते समय एक ब्रेस्ट से दूसरे पर कब करना चाहिए शिफ्ट?

प्रेग्नेंसी के दौरान पोहा खाने से सेहत को मिलेंगे ये 5 फायदे, जानिए गर्भवती महिलाओं के लिए कैसे फायदेमंद है पोहा

Health : इन 7 चीजों को अपनी डाइट में शामिल करने से दूर होगी हॉर्मोनल इम्बैलेंस की समस्या

सर्दियों में नहाने से लगता है डर, ये हैं एब्लूटोफोबिया के लक्षण

घी में मिलाकर लगा लें ये 3 चीजें, छूमंतर हो जाएंगी चेहरे की झुर्रियां और फाइन लाइंस

सार्थक बाल साहित्य सृजन से सुरभित वामा का मंच

महंगे क्रीम नहीं, इस DIY हैंड मास्क से चमकाएं हाथों की नकल्स और कोहनियां

घर में बेटी का हुआ है जन्म? दीजिए उसे संस्कारी और अर्थपूर्ण नाम

क्लटर फ्री अलमारी चाहिए? अपनाएं बच्चों की अलमारी जमाने के ये 10 मैजिक टिप्स

आज का लाजवाब चटपटा जोक : अर्थ स्पष्ट करो