शि‍क्षक दिवस : स्कूल के गलियारे

प्रीति सोनी
बचपन की यादें, जिंदगी में कभी भी नहीं भुलाई जा सकती। उन दिनों हमारे कोमल मन पर, हर अच्छी और बुरी बातों का बहुत गहराई तक असर होता है, जिसे हम ताउम्र अपने साथ लेकर चलते हैं। उनमें सबसे खास और सबसे प्रभावशाली यादें होती है, स्कूल के दिनों की..।


 


हमारे दोस्तों का मस्तीभरा साथ तो जीवन का अभि‍न्न हिस्सा होता ही है, उसके साथ कुछ अनमोल यादें होती हैं, क्लास में शि‍क्षकों द्वारा दी जाने वाली छोटी-छोटी शि‍क्षा... जो कभी डांट फटकार के माध्यम से, तो कभी कहानी किस्सों के माध्यम से हमारे मन में ऐसे उतर जाती है, कि जीवन में जब भी याद करें, सजीव ही लगती है। 
 
स्कूल के समय कुछ शि‍क्षकों से हमें बेहद लगाव होता था, तो कुछ से हम बहुत डरते थे। जब भी कोई समस्या होती तो हम हमेशा अपने पसंदीदा शि‍क्षक के पास जाते। बार-बार उनके पास जाकर उन्हें गुड मॉर्निंग विश करते, उनके लिए कुछ अच्छा करने और उनकी नजर में आने का बहाना ढूंढते। इसी के विपरीत, जिस शि‍क्षक से हमें डर लगता, उनके सामने जाने से हम हमेशा बचते थे। गलती से भी उनकी नजर हम पर न पड़ जाए, इसलिए छुपते-छुपाते उनके सामने से होकर गुजर जाते थे। अब जरूर यह सब सोचकर हंसी आती है, लेकिन समय के अनुसार शिक्षक की अपनी गरिमा और उनके प्रति अलग-अलग भाव होते हैं। 
 
शि‍क्षक दिवस पर भी हम अक्सर उन शि‍क्षकों के प्रति अधिक प्रेम व्यक्त करते थे, जिनसे हमें लगाव होता था। जो हमें प्यार से पढ़ाते और समझाते थे। तभी तो, हम शिक्षक दिवस की तैयारियों में कुछ विशेष करने के लिए हमेशा आतुर रहते थे। पापा के साथ बाजार जाकर उनके लिए कोई अच्छा सा उपहार लेकर आते, या फिर कोई पेन ही पैक करा कर स्कूल लेकर जाते, और बड़े प्यार और सम्मान से उन्हें जाकर देते ...। जब हमारे पसंदीदा शिक्षक उस सम्मान के बदले, प्यार भरी मुस्कान के साथ सर पर हाथ फेरते, और कहते, खुश रहो... तो जैसे हमारी भी बांछे खिल जाती। 
 
हमारी हर गलती को, डांट के रास्ते से न निकलते हुए, प्यार से समझाने वाले, वे होते थे हमारे पसंदीदा शिक्षक...। जिनके लिए हमारे मन में केवल डर या खौफ नहीं, बल्कि उसी अनुपात में प्यार भी भरा होता था, वे होते थे हमारे पसंदीदा शिक्षक...। और जो हमारी गलतियों पर जितनी डांट लगाते, उतना ही हमारी उपलब्धियों और अच्छाई को देखकर शाबाशी देकर गौरवान्वित होते ... वे होते थे, हमारे पसंदीदा शिक्षक। बचपन के कोमल मन पर उतनी कोमलता के साथ प्रभाव छोड़ते... वे होते थे हमारे पसंदीदा शिक्षक । 
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