शिक्षक दिवस पर विशेष : कृतज्ञ हूं आपका...

सुशील कुमार शर्मा
कृतज्ञ हूं आपका
ज्ञान की सड़क पर
हमें व्यवस्थित चलना सिखाया
हमें मस्तिष्क की शक्ति प्रदान कर
आकाश-सा ऊंचा उठाया।
 
आप पथ की भांति
अपने कंधों पर लेते रहे
हमारे पदचापों का भार
देते रहे हमारे कदमों को
लक्ष्य का संदेश।
 
आपके ऊर्जावान कालातीत शब्द
बने हैं आज भी मील के पत्थर
हमारे में मन पड़ी गर्द को
आपने बुहारा है कई बार
अपने ज्ञान के डस्टर से।
 
जीवन की अनंत यात्रा का
आपने किया है सफल नेतृत्व
एक दीपक की लौ से
आपने प्रज्वलित कर दिए
हजारों सूर्यों को।
 
आपने सिखाया है कि
अपनी बुराइयों को जीतकर
प्रगति के अविरल पथ पर
बहना ही जीवन है।
 
आप संस्थापक हैं
हमारे भूत, वर्तमान और भविष्य के
हृदय में चुभे संघर्ष के शूलों को
आपने ही स्नेहभरे सहारे ने
बदल दिया महकते गुलाबों में।
 
जब कभी निर्बल आत्मबल
ने हारने की कोशिश की
आपकी गरजती हुंकार ने
एक साहस दिया मन को
असफलताओं में जूझने का।
 
कदम जब भी मुड़े गलत दिशा में
आपके प्रचंड व्यक्तित्व का त्रिशूल
हमेशा दिशा निर्देशित करता रहा
मेरा बचपन आपके स्नेह से लिप्त रहा
मेरा वर्तमान आपके व्यक्तित्व से अभिभूत है
मेरा भविष्य आपके अनुभवों का ऋणी रहेगा।
 
हे गुरुवर! ईश्वर से प्रार्थना है
हर जन्म में मेरा अंतरमन
आपके ज्ञान के सूर्य से आलोकित हो!
 
आपका हृदय से कृतज्ञ हूं,
आपके श्रीचरणों में सादर नमन!

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