टीवी पर अश्लीलता रोकने के लिए बीसीसीसी का कड़ा रुख

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भारत में टेलीविजन चैनल्स द्वारा प्रसारित किए जा रहे कंटेंट पर नजर रखने वाली संस्था ब्रॉडकास्टिंग कंटेंट कम्पलेंट्स काउंसिल (बीसीसीसी) ने चैनल्स पर अपना शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। बीसीसीसी ने दो म्यूजिक चैनल्स के साथ कई सामान्य मनोरंजन कार्यक्रम प्रसारित करने वाले चैनलों को, उनके ‘आक्रामक' कंटेंट को वयस्क टाइम स्लॉट में शिफ्ट करने को कहा है।

इंडियन ब्रॉडकास्टिंग फाउंडेशन द्वारा स्थापित की गई इस स्व नियामक संस्था ने इन चैनल्स को उसका आदेश ना मानने पर भारी जुर्माना भरने की भी चेतावनी दी है। संस्था ने चैनल्स के अधिकारियों को उनके द्वारा प्रसारित किए जा रहे आपत्तिजनक कंटेंट को, तुरंत वयस्क टाइम स्लॉट में शिफ्ट करने को कहा है।

खबरों के अनुसार बीसीसीसी ने यूटीवी बिंदास पर प्रसारित हो रहे शो ‘इमोशनल अत्याचार’ पर कड़ी आपत्ति लेकर चैनल के अधिकारियों को तलब किया था। दिल्ली में हुई इस मीटिंग में चैनल अधिकारियों को बीसीसीसी के अधिकारियों ने कंटेंट को लेकर जोरदार फटकार लगाई। अधिकारियों ने उन्हें तुरंत शो का टाइम स्लॉट बदलने के आदेश दिए। इस पर जल्दी एक्शन लेते हुए बिंदास ने अपने शो के फॉर्मेट को चेंज कर दिया है।

बीसीसीसी द्वारा एमटीवी और चैनल वी को भी इसी तरह की चेतावनियां प्रेषित की गई हैं। माना जाता है कि एक बार बीसीसीसी द्वारा चेतावनी मिल जाने के पश्चात, निर्माताओं के पास अपने शो के कंटेंट को बदलने के अलावा कोई और चारा नहीं रह जाता है।

बीसीसीसी को इन शोज के बारे में कई शिकायतें मिली थीं। बीसीसीसी ने चैनल्स को रिएलिटी शो के नाम से प्रसारित किए जा रहे कुछ स्क्रीप्टेड शो को बंद करने के भी आदेश दिए हैं। संस्था के एक सदस्य के मुताबिक जब एक टीवी कार्यक्रम के सीन और स्क्रिप्ट उसके निर्माताओं द्वारा तैयार किए गए हों तब उस शो को रिएलिटी शो नहीं कहा जा सकता। बीसीसीसी ने चैनल्स को आदेश दिया है कि ऎसे शो के पहले उसके स्क्रिप्टेड होने की जरूरी सूचना अवश्य दिखाई जाए।

कुछ दिनों पहले देखने में आया था कि टीवी चैनल्स द्वारा धड़ल्ले से आपत्तिजनक और प्रतिबंधित कंटेंट का प्रसारण किया जा रहा था। तब इनके ऊपर किसी नियामक संस्था की जरूरत महसूस की गई थी जो इस तरह के प्रसारण पर नजर रखे और आवश्यक रोक लगाए।

इस बारे में टीवी चैनल्स के प्रतिनिधि ने बताया कि चैनल्स को बीसीसीसी से ज्यादा सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा लाइसेंस रद्द करने का डर रहता है। कई बार चैनल अधिकारियों को मंत्रालय द्वारा भी तलब कर लिया जाता है। मंत्रालय द्वारा सुनवाई का मौका दिया जाना केवल कहने की बात होती है। वे हमें अपनी बात रखने का मौका भी नहीं देते और पहले से ही यह निर्णय ले लेते हैं कि चैनल गलत है।

यह स्व नियामक संस्था आंखे बंद करके किसी शिकायत को नहीं सुनती। किसी भी अप्रिय कार्यवाही से पहले चैनल्स को तीन बार चेतावनियां दी जाती हैं, अगर वे इस पर अमल नहीं करते तो उन्हें जुर्माना भरने के आदेश दिया जाता है। जुर्माने की राशि फिलहाल तय नहीं की गई है।

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