अगले दिन रानी ने अपने अपने हाथों से स्वादिष्ट पकवान बनाए। राजा के साथ बैठा तेनालीराम उन पकवानों की जी-भरकर प्रशंसा करता हुआ खाता जा रहा था। खाने के बाद रानी ने उसे बढ़िया पान का बीड़ा भी खाने को दिया।
तेनालीराम मुस्कराकर बोला, 'सचमुच, आज जैसा खाने का आनंद तो मुझे कभी नहीं आया!'
तभी रानी ने अचानक पूछ लिया, 'अच्छा तेनालीराम एक बात बताओ। राजा बड़े हैं या मैं?