इसके बाद राजा ने घोषणा की कि राष्ट्रीय उत्सव मनाने के लिए मिठाइयों की दुकानों पर रंग-बिरंगी मिठाइयां बेची जाएं। घोषणा के बाद मिठाई की दुकान वाले मिठाइयां बनाने में व्यस्त हो गए।
कई दिनों से तेनालीराम दरबार में नहीं आ रहा आ रहा था। राजा ने तेनालीराम को ढूंढने के लिए सिपाहियों को भेजा, परंतु वे भी तेनालीराम को नहीं ढूंढ पाए। उन्होंने राजा को इस विषय में सूचित किया।
इससे राजा और भी अधिक चिंतित हो गए। उन्होंने तेनालीराम को सतर्कतापूर्वक ढूंढने का आदेश दिया।
कुछ दिनों बाद सैनिकों ने तेनालीराम को ढूंढ निकाला। वापस आकर वे राजा से बोले, 'महाराज, तेनालीराम ने कपड़ों की रंगाई की दुकान खोल ली है तथा वह सारा दिन अपने इसी काम में व्यस्त रहता है। जब हमने उसे अपने साथ आने को कहा तो उसने आने से मना कर दिया।'
यह सुनकर राजा क्रोधित हो गए। वे सैनिकों से बोले, 'मैं तुम्हें आदेश देता हूं कि तेनालीराम को जल्दी से जल्दी पकड़कर यहां ले आओ। यदि वह तुम्हारे साथ न आए तो उसे बलपूर्वक लेकर आओ।'
राजा के आदेश का पालन करते हुए सैनिक तेनालीराम को बलपूर्वक पकड़कर दरबार में ले आए।
राजा ने पूछा, 'तेनाली, तुम्हें लाने के लिए जब मैंने सैनिकों को भेजा तो तुमने शाही आदेश का पालन क्यों नहीं किया तथा तुमने यह रंगरेज की दुकान क्यों खोली? हमारे दरबार में तुम्हारा अच्छा स्थान है जिससे तुम अपनी सभी आवश्यकताएं पूरी कर सकते हो।'
तेनालीराम बोला, 'महाराज दरअसल मैं राष्ट्रीय उत्सव के लिए अपने वस्त्रों को रंगना चाहता था। इससे पहले कि सारे रंगों का प्रयोग दूसरे कर लें, मैं रंगाई का कार्य पूर्ण कर लेना चाहता था।'
' सभी रंगों के प्रयोग से तुम्हारा क्या तात्पर्य है? क्या सभी अपने वस्त्रों को रंग रहे हैं?' राजा ने पूछा।
' नहीं महाराज, वास्तव में रंगीन मिठाइयां बनाने के आपके आदेश के पश्चात सभी मिठाई बनाने वाले मिठाइयों को रंगने के लिए रंग खरीदने में व्यस्त हो गए हैं। यदि वे सारे रंगों को मिठाइयों को रंगने के लिए खरीद लेंगे तो मेरे वस्त्र कैसे रंगे जाएंगे?'
इस पर राजा को अपनी भूल का अहसास हुआ। वे बोले, 'तो तुम यह कहना चाहते हो कि मेरा आदेश अनुचित है। मेरे आदेश का लाभ उठाकर मिठाइयां बनाने वाले मिठाइयों को रंगने के लिए घटिया व हानिकारक रंगों का प्रयोग कर रहे हैं। उन्हें केवल खाने योग्य रंगों का ही उपयोग करना चाहिए', इतना कहकर महाराज ने तेनालीराम को देखा। तेनालीराम के चेहरे पर वही चिर-परिचित मुस्कुराहट थी।
राजा कृष्णदेव राय ने गंभीर होते हुए आदेश दिया कि जो मिठाई बनाने वाले हानिकारक रासायनिक रंगों का प्रयोग कर रहे हैं, उन्हें कठोर दंड दिया जाए।
इस प्रकार तेनालीराम ने अपनी बुद्धि के प्रयोग से एक बार फिर विजयनगर के लोगों की रक्षा की ।