घर पर तेनालीराम की पत्नी सदैव शिकायत करती रहती, 'हम स्वयं तो ठीक से रह नहीं पाते फिर इन हाथियों के लिए कहां रहने की व्यवस्था करें? हम इनके लिए कोई नौकर भी नहीं रख सकते। हम अपने लिए तो जैसे-तैसे भोजन की व्यवस्था कर पाते हैं, परंतु इनके लिए अब कहां से भोजन लाएं? यदि राजा हमें पांच हाथियों के स्थान पर पांच गायें ही दे देते तो कम-से-कम उनके दूध से हमारा भरण-पोषण तो होता।'
तेनालीराम जानता था कि उसकी पत्नी सत्य कह रही है। कुछ देर सोचने के बाद उसने हाथियों से पीछा छुडाने की योजना बना ली। वह उठा और बोला- 'मैं जल्दी ही वापस आ जाऊंगा। पहले इन हाथियों को देवी काली को समर्पित कर आऊं।'
तेनालीराम हाथियों को लकेर काली मंदिर गया और वहां उसने उनके माथे पर तिलक लगाया। इसके बाद उसने हाथियों को नगर में घूमने के लिए छोड़ दिया। कुछ दयावान लोग हाथियों को खाना खिला देते, परंतु अधिकतर समय हाथी भूखे ही रहते। शीघ्र ही वे निर्बल हो गए।