दरबारियों ने एक स्वर में कहा, ‘बहुत उत्तम सुझाव है पुरोहितजी का। महाराज को यह सुझाव अवश्य पसंद आया होगा ।’
महाराज कृष्णदेव राय ने कहा-‘ठीक है। आप आवश्यकता के अनुसार हमारे कोष से धन प्राप्त कर सकते हैं ।’
‘महाराज, यह महान यज्ञ सात दिनों तक चलेगा। कम से कम एक लाख स्वर्ण मुद्राएं तो खर्च हो ही जाएंगी ।’ प्रतिदिन सवेरे सूर्योदय से पहले मैं नदी के ठंडे जल में खड़े होकर तपस्या करूंगा और देवी-देवताओं को प्रसन्न करूंगा।