तुम हो क्या, ये तुम्हें मालूम नहीं है शायद

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तुम हो क्या, ये तुम्हें मालूम नहीं है शायद
तुम बदलते हो तो मौसम भी बदल जाते हैं------अज़ीज़ अंसारी

जिस तरह अपनी बुराइयाँ अपने को दिखाई नहीं देतीं इसी तरह कभी कभी अपनी अच्छाइयाँ भी अपने को दिखाई नहीं देतीं। दोस्त में जो ख़ूबियाँ हैं वो उससे अंजान है इसलिए उसका दोस्त उसे बता रहा है के उस में तो इतनी ख़ूबियाँ हैं के अगर वो बदल जाए या नाराज़ हो जाए तो अच्छा ख़ासा मौसम भी बदल जाए।
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