ख़्याल-ए-वस्ल को अब आरज़ू झूला झुलाती है

Webdunia
ख़्याल-ए-वस्ल को अब आरज़ू झूला झुलाती है
क़रीब आना दिल-ए-मायूस के फिर दूर हो जाना।------शाद अज़ीमाबादी

हमारी उम्मीद अब इस विचार को झूला झुला रही है। मतलब न पूरी तरह से टूटती है और न पूरी तरह से पक्का विश्वास दिलाती है के उनसे मिलना हो जाएगा।

महबूब से मिलन के विचार को और किसी गाँव के बड़े दरख़्त में बँधे हुए रस्सी के झूले को चलता हुआ, सामने रखिए। दोनों एक समान दिखाई देते हैं। उम्मीद उसी तरह बँधती और टूटती रहती है जिस तरह कभी झूला हमारे पास आता है और कभी दूर चला जाता है।

झूला पास आता है तो ऐसा लगता है मिलन होगा, जल्दी ही झूला दूर चला जाता है, तो ऐसा लगता है मिलन नहीं होगा। और ये क्रम चलता रहता है।
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

नमक-मिर्च वाली केरी खाने से पहुंचा रहे हैं सेहत को नुकसान, हो जाइये सावधान

लू लगने पर शरीर में दिखते हैं ये लक्षण, हीट स्ट्रोक से बचने के लिए अपनाएं ये उपाय और ज़रूरी सावधानियां

गर्मियों में धूप में निकलने से पहले बैग में रखें ये चीजें, लू और सन टेन से होगा बचाव

इन कारणों से 40 पास की महिलाओं को वेट लॉस में होती है परेशानी

खुद की तलाश में प्लान करें एक शानदार सोलो ट्रिप, ये जगहें रहेंगी शानदार

सभी देखें

नवीनतम

हमास की टनल बैटल स्ट्रैटेजी का इजराइल पर खौफ,गाजा में न पक्का मकान बनेगा और न ही स्कूल या अस्पताल

पृथ्वी दिवस 2025: कैसे सुधारा जा सकता है धरती के पर्यावरण को?

ईस्टर पर 10 सुंदर और प्रेरणादायक धार्मिक विचार

यीशु मसीह की 10 प्रमुख कहानियां और उनका संदेश

ईसाई समुदाय में बनते हैं ईस्टर के ये पारंपरिक व्यंजन