फ़रिश्ते वक़्त से पहले अज़ाब देने लगे

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फ़रिश्ते वक़्त से पहले अज़ाब देने लगे
गली के बच्चे पलट कर जवाब देने लगे -----कैफ़ भोपाली

बच्चों को फ़रिश्तों की तरह पाक-साफ़ समझा जाता है। मरने के बाद क़ब्र में फ़रिश्ते ही इंसान से सवाल जवाब करते हैं और सज़ाएँ देते हैं। लेकिन ये सब काम फ़रिश्ते मरने के बाद करते हैं। लेकिन जिन बच्चों को हम फ़रिश्ता समझ रहे हैं जीते जी हमें अज़ाब में मुबतिला कर रहे हैं, हमें सज़ाएँ दे रहे हैं।

किसी ज़माने में गली के बच्चे क्सी बुज़ुर्ग को आता हुआ देख लिया करते थे तो घरों में चले जाते थे। शोर करते रहते थे तो ख़ामोश हो जाते थे लेकिन आज के इस दौर में अदब तो दूर रहा, पलट कर जवाब दे देते हैं और यही उनका जवाब एक तरह का अज़ाब एक तरह की सज़ा है हमारे लिए।
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