ओलंपिक की बात करें तो भारत बनाम पाकिस्तान का मुकबला सिर्फ पुरुष हॉकी में ही देखने को मिलने की संभावना रहती है। इस टोक्यो ओलंपिक में पाकिस्तान की पुरुष हॉकी टीम क्वालिफाय नहीं कर पायी है और भारतीय हॉकी टीम का ब्रॉन्ज मेडल मैच जर्मनी से है। तो फिर भारत बनाम पाकिस्तान का मुकाबला किस जगह हो सकता है।
दिल थाम कर बैठ जाइए क्योंकि जैवलिन थ्रो के फाइनल में भारत के नीरज चोपड़ा का सामना पाकिस्तान के अरशद नदीम से होगा। नीरज चोपड़ा की तरह वह भी फाइनल में जगह बनाने में कामयाब रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि दोनों ही अपने अपने ग्रुप पर टॉप पर रहे हैं।
एक और दिलचस्प बात यह है कि अरशद पहले क्रिकेट खेलते थे लेकिन नीरज से ही प्रेरणा लेकर जैवलिन थ्रो के खिलाड़ी बने। 2018 एशियन गेम्स के ब्रॉन्ज मैडलिस्ट रहे नदीम ने 85.16 मीटर तक भाला फेंका और टॉप 6 में ऑटोमेटिकली क्वालिफाय किया।
पहला प्रयास परफेक्ट था लेकिन फाइनल में सुधार की जरूरत: नीरज
भारत के स्टार एथलीट नीरज चोपड़ा ने बुधवार को यहां अपने पहले ही प्रयास में परफेक्ट थ्रो के साथ तोक्यो खेलों की भाला फेंक स्पर्धा के फाइनल में जगह बनाने के बाद कहा कि भारत को ट्रैक एवं फील्ड में ओलंपिक का पहला पदक दिलाने की दावेदारी मजबूत करने के लिए उन्हें इस प्रदर्शन को दोहराते हुए बेहतर दूरी तय करनी होगी। तेइस साल के चोपड़ा 86.65 मीटर के प्रयास के साथ क्वालीफिकेशन में शीर्ष पर रहते हुए ओलंपिक फाइनल में जगह बनाने वाले पहले भारतीय भाला फेंक खिलाड़ी बने।
चोपड़ा ने स्पर्धा के बाद कहा, मैं अपने पहले ओलंपिक खेलों में हिस्सा ले रहा हूं और काफी अच्छा महसूस कर रहा हूं। वार्म अप के दौरान मेरा प्रदर्शन अच्छा नहीं था लेकिन पहले थ्रो (क्वालीफाइंग दौर में) में मैंने अच्छा कोण हासिल किया और यह परफेक्ट थ्रो थी।
चोपड़ा हालांकि आत्ममुग्धता का शिकार नहीं हैं और उन्हें पता है कि फाइनल बिलकुल अलग मुकाबला होगा जिसमें दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी खिताब जीतने के लिए चुनौती पेश करेंगे।
भारतीय खिलाड़ी ने कहा, यह (फाइनल) बिलकुल अलग अहसास होगा क्योंकि यह मेरा पहला ओलंपिक है। शारीरिक रूप से हम सभी कड़ी ट्रेनिंग करते हैं और तैयार हैं लेकिन मुझे मानसिक रूप से तैयार होने की भी जरूरत है।
उन्होंने कहा, मुझे अपने थ्रो पर ध्यान देने की जरूरत है और अधिक दूरी के साथ इस प्रदर्शन को दोहराने की कोशिश करूंगा।
चोपड़ा ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण ओलंपिक से पहले तैयारी काफी मुश्किल रही।
उन्होंने कहा, पिछला साल काफी मुश्किल था क्योंकि हम ओलंपिक के लिए तैयार थे और कोरोना वायरस के कारण सब कुछ बंद हो गया। हम थोड़े दुखी थे लेकिन इसके बाद नियमित ट्रेनिंग शुरू की। हमें प्रत्येक दिन ट्रेनिंग करने की जरूरत थी इसलिए यह मुश्किल था।
चोपड़ा ने कहा, लेकिन जब जापान ने कहा कि वे ओलंपिक का आयोजन करेंगे तो हम मानसिक रूप से तैयार हो गए और कड़ी ट्रेनिंग की।