टोक्यो ओलंपिक शुरु हो चुका है और खिलाड़ी पदक के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ दे रहे हैं। खेलों के इस महाकुंभ में वैसे तो कई चीजें खास हैं, लेकिन आज इस आर्टिकल में हम आपको बताने वाले इस बार विजेता खिलाड़ियों को मिलने वाले मेडल्स के बारे में कि ये मेडल के बारे में, जिसे जानकर आपके जहन में भी एक ही ख्याल आएगा वाह क्या कॉन्सेप्ट है।
वैसे तो ओलंपिक खेलों में दिए जाने वाले मेडल्स उन एथलीट्स के लिए खास होते ही हैं, लेकिन इस बार ओलंपिक में जीतने वाले खिलाड़ियों को मिलने वाले पदकों की एक अलग ही खासियत है। ओलंपिक इतिहास में पहली बार मेडल्स का निर्माण रिसाइकल्स मेटल्स से किया गया है। जी हां, बिलकुल सही समझ रहे हैं आप, इस बार खिलाड़ियों को जो तमगे दिए जाएंगे, उनमें पुराने मोबाइल फोन से निकली धातुओं का इस्तेमाल हुआ है।
मेडल का निर्माण करने के लिए पुराने गैजेट्स से 32 किलो सोना, 3,500 किलो चांदी और 2,200 किलो तांबा निकाला गया। जो अब चमचमाते मेडल के रूप में दिखाई दे रहे हैं। वाकई ये एक बेहतरीन कदम है, क्योंकि दुनियाभर में ई-गार्बेज की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है।
हालांकि ये पहली बार नहीं हो रहा है जब मेडल्स रिसाइकल चीजों से बनाए जा रहे हैं बल्कि 2016 रियो ओलंपिक में आयोजकों ने रिसाइकल्ड मेटल्स के ज्यादा इस्तेमाल का फैसला किया. मेडल्स में ना सिर्फ 30 फीसदी रिसाइक्ल्ड चीजों का इस्तेमाल हुआ बल्कि उससे जुड़े रिबन में भी 50 फीसदी रिसाइकल्ड प्लास्टिक बोतलों का इस्तेमाल किया गया था। रियो की दिखाई राह में ही अब टोक्यो ओलंपिक के आयोजकों ने भी ऐसे ही मेडल्स बनाने का फैसला किया, जो वाकई बहुत ही अच्छा कदम है।
रोम ओलंपिक 1960 से पहले तक विजेताओं की छाती पर पदक पिन से लगाया जाता था लेकिन इन खेलों में पदक का डिजाइन नैकलेस की तरह बनाया गया और खिलाड़ी चेन की सहायता से इन्हें अपने गले में पहन सकते थे। चार साल बाद इस चेन की जगह रंग-बिरंगे रिबन ने ली और आज विजेता खिलाड़ी रिबन लगे मेडल्स को पहनते हैं।