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FSSAI प्रतिबंध के बावजूद कैल्शियम कार्बाइड से पके फलों की बिक्री जारी, जानिए आपकी सेहत से कैसे हो रहा खिलवाड़

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हमें फॉलो करें Side Effects of Carbide Ripened Fruits

Feature Desk

health dangers of eating carbide fruits: नई दिल्ली। भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के बावजूद कुछ स्थानों पर कैल्शियम कार्बाइड से पकाए गए आम जैसे फलों की बिक्री जारी है और विशेषज्ञों का कहना है कि लंबे समय तक ऐसे फलों का सेवन गंभीर बीमारियों की वजह बन सकता है। दिल्ली के बाजारों में इन दिनों फलों के राजा आम की बहार है लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि दिखने में रसीले इन आमों एवं अन्य फलों का लंबे समय तक उपभोग करने से उपभोक्ताओं को मुंह में सूखापन, जलन, छाले, गले में खराश और उल्टी जैसे तात्कालिक लक्षणों के साथ ही न्यूरोलॉजिकल प्रभाव', 'मेमोरी लॉस', थायरॉयड, डायबिटीज और कैंसर तक की बीमारी घेर सकती है।

एशिया की सबसे बड़ी मंडी कहलाने वाली आजादपुर मंडी के अध्यक्ष एम।आर। कृपलानी ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा कि हमारे मंडी के व्यापारी कैल्शियम कार्बाइड का इस्तेमाल नहीं करते लेकिन जो व्यापारी आम को बाहर के इलाकों में ले जाते हैं, वहां जल्दी पकाने के लिए थोड़ी मात्रा में कैल्शियम कार्बाइड का उपयोग किया जाता है। खासकर तब, जब फल कच्चा होता है और मांग अधिक रहती है।

उन्होंने बताया कि सामान्य तौर पर केले को गर्मी देकर पकाया जाता है लेकिन आम जैसे फलों में ऊपर से पीलापन लाने के लिए कई बार कैल्शियम कार्बाइड का सहारा लिया जाता है। भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के अनुसार, कैल्शियम कार्बाइड से पकाए गए फलों में आर्सेनिक और फॉस्फोरस हाइड्रॉक्साइड जैसी अशुद्धियां होती हैं जो कैंसर और त्वचा रोग जैसी बीमारियों का कारण बन सकती हैं।

भारत में कैल्शियम कार्बाइड का उपयोग खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 के तहत प्रतिबंधित है। एफएसएसएआई की वेबसाइट पर उपलब्ध एक रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि केवल एथिलीन गैस (100 पीपीएम) का प्रयोग नियंत्रित माहौल में फल पकाने के लिए किया जा सकता है क्योंकि यह फलों के प्राकृतिक रूप से पकने की प्रक्रिया के दौरान उत्पन्न होने वाली गैस है और यह सुरक्षित है।

मंडी में मौजूद कुछ व्यापारियों का कहना था कि एथिलीन गैस से फलों को पकाना खर्चीला होता है इसलिए वे सस्ते विकल्प के रूप में कैल्शियम कार्बाइड को प्राथमिकता देते हैं। उपभोक्ताओं का कहना है कि फल दिखने में तो पके हुए लगते है लेकिन स्वाद और स्वास्थ्य पर विपरीत असर डाल रहे है।

पूर्वी दिल्ली की रहने वाली गृहिणी अंजू गुप्ता कहती हैं कि फल खाकर अक्सर एसिडिटी और जी मिचलाने जैसी समस्या होती है। गांव में पेड़ से ताजे फल तोड़कर खाने में जो मजा था अब वह स्वाद नहीं मिलता। निजी कंपनी में कार्यरत मुकेश वर्मा ने कहा कि अब आम में वो खुशबू और मिठास नहीं रही। आम कई बार बाहर से तो पीले और पके हुए नजर आते हैं पर काटने पर कच्चे और खट्टे निकलते हैं।
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नई दिल्ली स्थित अपोलो स्पेक्ट्रा अस्पताल की फिजिशियन डॉ. नवनीत कौर ने बताया कि कैल्शियम कार्बाइड से पकाए गए फल त्वरित लक्षण के साथ गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि रसायन से पकाए गए फलों के सेवन से मुंह में सूखापन, जलन, छाले, गले में खराश और उल्टी जैसे लक्षण देखे जाते हैं। लंबे समय तक इन फलों का सेवन करने से 'न्यूरोलॉजिकल प्रभाव', 'मेमोरी लॉस', थायरॉयड, डायबिटीज और यहां तक कि कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कई लोग सोचते हैं कि किसी फल से एलर्जी की वजह से उन्हें यह समस्या हो रही है लेकिन एलर्जी में आमतौर पर पेट में तेज दर्द, त्वचा से संबंधित परेशानी जैसे लक्षण होते हैं जबकि कैल्शियम कार्बाइड वाले फलों से उल्टी, मितली, मुंह सूखने और मुंह में छाले जैसी समस्याएं सामने आती हैं।

डॉ.कौर ने कहा कि हालांकि एथिलीन गैस का दुष्प्रभाव ज्यादा नहीं है, लेकिन कार्बाइड से पकाए गए फल निश्चित रूप से खतरनाक हैं। उन्होंने बताया कि यदि ऐसे फल गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग या बच्चे खाते हैं, तो इन रसायनयुक्त फलों का स्वास्थ्य पर असर और भी गंभीर हो सकता है। उन्होंने सलाह दी कि उपभोक्ता फल खरीदते समय अत्यधिक चमक और आकर्षक दिखने वाले फलों से सावधान रहें और उन्हें अच्छी तरह धोकर ही खाएं।(भाषा)
Edited by: Garima Mudgal

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