मुंबई क े सिद्धिविनायक मंदिर के सामने रोड़ पर बनाई गई ऊ ँची दीवार को बंबई हाईकोर्ट ने बुधवार को उचित ठहराया। दीवार हटाने के मामले को लेकर अदालत में दर्ज जनहित याचिका को अदालत ने ठुकराते हुए कहा कि सुरक्षा की दृष्टी से यह दीवार जरूरी है। अदालत ने यह भी कहा कि दीवार की वजह से यातायात की हो रही समस्या को जल्द से जल्द सुलझाने का प्रयास करें।
सिद्धिविनायक मंदिर की सुरक्षा के लिए कुछ वर्ष पहले ऊ ँची दीवार बनाई गई। यह दीवार बीच रास्ते पर बनाई गई है जिससे यातायात की अच्छी खासी समस्या खड़ी हो गई है। इस दीवार की वजह से सिद्धिविनायक मंदिर के आसपास रहने वाले लोगों को भी दिक्कतें आ रही थी। इसी को लेकर वहा ँ पर रहने वाले विनोद देसाई और अन्य लोगों ने अदालत में जनहित याचिका दाखिल की थी। इस पर अदालत ने वृहद्ध मुंबई नगर निगम को अपना जवाब देने के लिए कहा था।
संकष्टी चतुर्थी और अंगारकी के दिन सिद्धिविनायक मंदिर में लाखों भक्त आते हैं। मंगलवार के दिन यहा ँ पर हजारों भक्तों की भीड़ रहती है। भक्तों और मंदिर की सुरक्षा को देखते हुए सिद्धिविनायक मंदिर न्यास की तरफ से ऊ ँची दीवार बनाई गई है। वृहद्ध मुंबई नगर निगम की ओर से अदालत को बताया गया कि सिद्धिविनायक मंदिर आतंकियों के हिट लिस्ट पर है। कई बार इस पर हमले करने की धमकी दी गई है।
अगर मंदिर की सुरक्षा दीवार तोड़ी जाए तो सिद्धिविनायक मंदिर पर हमला आसानी से किया जा सकता है। सुरक्षा दीवार नहीं तोड़नी चाहिए। कोर्ट ने वृहद्ध मुंबई नगर निगम के जवाब को स्वीकारते हुए दीवार को उचित ठहराया और जनहित याचिका ठुकरा दी।