2030 तक टीबी उन्मूलन के लिए वैश्विक कार्रवाई का नया संकल्प

UN News
शनिवार, 23 सितम्बर 2023 (13:19 IST)
विश्व नेताओं, नागरिक समाज के प्रतिनिधियों और अन्य हितधारकों ने तपेदिक (टीबी) रोग के उन्मूलन पर लक्षित एक राजनैतिक घोषणापत्र को शुक्रवार को यूएन मुख्यालय में एक बैठक के दौरान पारित किया है।
इस दस्तावेज़ में अगले पांच वर्षों के लिए नए महत्वाकांक्षी लक्ष्यों का ख़ाका पेश किय गया है। इसके तहत, तपेदिक (टीबी) की रोकथाम व देखभाल सेवाओं को 90 फ़ीसदी लोगों को पहुंचाना होगा, जो मरीज़ इससे संक्रमित हो चुके हैं, उन्हें सामाजिक लाभ पैकेज प्रदान करने होंगे। साथ ही, कम से कम एक नई वैक्सीन को लाइसेंस देना होगा।

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के प्रमुख टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने टीबी के अन्त के लिए एक स्वर में उठी आवाज़ की सराहना की। उन्होंने राजनैतिक घोषणापत्र का स्वागत किया, जिस पर बैठक से पहले ही सर्व सहमति बन गई थी। अब इस राजनैतिक घोषणापत्र को यूएन महासभा में प्रस्तुत किया जाएगा, जोकि संयुक्त राष्ट्र का सर्वाधिक प्रतिनिधित्वक अंग है।

जानलेवा बीमारी
कोविड-19 के बाद टीबी, दुनिया में दूसरी सबसे जानलेवा, संक्रामक बीमारी है, जिससे वर्ष 2021 में 16 लाख लोगों की मौत हुई। इस बीमारी के विरुद्ध लड़ाई में केवल एक ही वैक्सीन उपलब्ध है, जिसे 100 वर्ष पहले तैयार किया गया था। मानवता ने पिछली अनेक सदियों से टीबी की पीड़ा का सामना किया है, जिसे पहले व्हाइट प्लेग या अन्य नामों से जाना जाता था। यह मुख्यत: एक बैक्टीरिया की वजह से फैलता है और फेफड़ों को प्रभावित करता है, मगर एंटीबायोटिक्स के ज़रिये इसका इलाज सम्भव है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पहली बार इसी सप्ताह नई वैक्सीन के विकास और न्यायसंगत इस्तेमाल के लिए एक परिषद की स्थापना की।

2030 एजेंडा के लिए अहम
टीबी महामारी को उखाड़ फेंकना, टिकाऊ विकास पर केन्द्रित 2030 एजेंडा का एक अहम लक्ष्य है, जोकि इस दशक के अन्त तक एक बेहतर, न्यायोचित विश्व को आकार देने का ब्लूप्रिन्ट है। पांच वर्ष पहले, देशों ने टीबी उपचार के दायरे में चार करोड़ लोगों को लाने का लक्ष्य स्थापित किया था, जिसके अन्तर्गत तीन करोड़ 40 लाख तक ही पहुंचा जा सके। इस क्रम में, तीन करोड़ लोगों तक रोकथाम उपचार का लाभ पहुंचाना था, मगर यह लक्ष्य भी 50 फ़ीसदी ही हासिल किया जा सके।

मुख्य कारक
यूएन उपमहासचिव आमिना मोहम्मद ने टीबी की मुख्य वजहें बताईं: निर्धनता, अल्पपोषण, स्वास्थ्य देखभाल की सुलभता की कमी, एचआईवी संक्रमण मानसिक स्वास्थ्य, धूम्रपान। बताया गया है कि इस बीमारी के इर्दगिर्द मौजूद कथित कलंक से भी निपटे जाने की ज़रूरत है, ताकि वे बिना किसी भेदभाव के डर के मदद हासिल हासिल कर सकें। इसके अलावा, देशों को सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज भी सुनिश्चित करनी होगी और टीबी की जांच, रोकथाम व उपचार को उसके दायरे में लाना होगा।
(Credit: UN News Hindi)

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

सैम पित्रोदा को फिर मिली बड़ी जिम्‍मेदारी, इंडियन ओवरसीज कांग्रेस का प्रमुख बनाया

क्या जय फिलिस्तीन कहने पर जा सकती है ओवैसी की लोकसभा सदस्यता?

Rahul Gandhi salary: नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की कितनी होगी सैलरी, कितनी होगी ताकत

भारत और अफगानिस्तान के बीच फाइनल की दुआ कर रहे हैं अफगान शरणार्थी

Liquor Policy Case : 3 दिन की CBI रिमांड पर रहेंगे अरविंद केजरीवाल, विशेष अदालत ने सुनाया फैसला

सभी देखें

नवीनतम

NIA ने गोल्डी बराड़ और उसके साथी पर रखा 10-10 लाख का इनाम, व्यवसायी के घर जबरन वसूली और गोलीबारी का मामला

NEET UG Paper Leake : झारखंड का स्कूल प्रधानाचार्य जांच के घेरे में, CBI ने की पूछताछ

क्‍या राकांपा नेता अमोल मिटकारी लड़ेंगे चुनाव, महायुति में बढ़ी हलचल

मध्य प्रदेश में आपातकाल पर अध्याय स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा होगा : मोहन यादव

लालकृष्ण आडवाणी की तबीयत बिगड़ी, दिल्ली AIIMS में भर्ती किए गए

अगला लेख
More