संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने कहा है कि युद्ध से बुरी तरह तबाह हो चुके ग़ाज़ा में एक सहमत युद्ध विराम लागू होने के बावजूद कथित रूप से इसराइल के जारी हमलों और हवाई हमलों में हर उम्र के लोगों की मौतें हो रही हैं और लोग घायल हो रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र बाल कोष यूनीसेफ़ के प्रवक्ता रिकार्डो पाइरेस ने शुक्रवार को कहा है कि गुरुवार को सुबह ख़ान यूनिस में एक इसराइली हमले में एक बच्ची की मौत हो गई। उससे एक दिन पहले भी ग़ाज़ा सिटी और दक्षिणी इलाक़े में 7 बच्चे मारे गए थे। युद्ध विराम लागू होने के बाद 260 लोग मारे गए हैं और 600 लोग घायल हुए हैं। बाज़ारों में कुछ गतिविधियां शुरू होने के बावजूद परिवारों को खाद्य सामग्री की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है।
शुक्रवार की स्थिति के मुख्य बिन्दु :
यूनीसेफ़ ने कहा है कि युद्धविराम के दौरान अभी तक 67 बच्चों की मौत हो चुकी है।
WHO के अनुसार, युद्ध विराम लागू होने के बाद 260 लोग मारे गए हैं और 600 लोग घायल हुए हैं।
बाज़ारों में कुछ गतिविधियां शुरू होने के बावजूद परिवारों को खाद्य सामग्री की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है।
- ग़ाज़ा की स्वास्थ्य व्यवस्था ढह रही है, जिसके कारण बच्चों को स्वास्थ्य देखभाल नहीं मिल रही है।
- लगभग 4 हज़ार बच्चों को उपचार के लिए बेहतर इलाज के लिए तत्काल अन्यत्र भेजे जाने की ज़रूरत है।
- यूनीसेफ़ के प्रवक्ता रिकार्डो पाइरेस ने बताया, ग़ाज़ा में युद्ध में केवल एक ही पक्ष ऐसा है जिसके पास हवाई हमलों के ज़रिए भीषण हमले करने की क्षमता है।
प्रवक्ता ने कहा कि इसराइली सेना और हमास के दरम्यान 11 अक्टूबर को युद्धक गतिविधियों पर विराम घोषत किए जाने के बाद से युद्ध सम्बन्धी घटनाओं में 67 बच्चों की मौतें हुई हैं। यूनीसेफ़ के अनुसार, युद्धविराम के दौरान ये संख्या औसतन प्रतिदिन दो बच्चों की मौत के बराबर है।
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी WHO ने भी ऐसी ही चिन्ताएं व्यक्त की हैं। एजेंसी के एक वरिष्ठ सहायताकर्मी डॉक्टर रिक पीपरकोर्न ने कहा है, वैसे तो युद्धविराम लागू है मगर लोग अब भी मारे जा रहे हैं। उन्होंने ग़ाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया है कि युद्ध विराम लागू होने के बाद 266 ग़ाज़ावासियों की मौतें हुई हैं और 634 लोग घायल हुए हैं। इनके अलावा, मलबे से 548 शव भी बरामद किए गए हैं।
जीवन रक्षा में असहाय
यूनीसेफ़ के प्रवक्ता रिकार्डो पाइरेस ने कहा कि ग़ाज़ा के डॉक्टर बताते हैं कि वो जानते-समझते हैं कि बच्चों की ज़िन्दगियों को किस तरह बचा सकते हैं, मगर बचाने में असहाय हैं। ग़ाज़ा में अब भी 4 हज़ार से अधिक बच्चे अपनी जीवन रक्षा के लिए बेहतर इलाज की प्रतीक्षा में अन्यत्र बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं में भेजे जाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
यूएन एजेंसियां जारी असुरक्षा के बावजूद ग़ाज़ा वासियों तक अधिक पहुंच बनाने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। इनमें लाखों विस्थापित और अत्यन्त कमज़ोर हालात में रहने वाले परिवार भी हैं।
आसमान छूती कीमतें
फिलिस्तीन में विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के संचार प्रमुख मार्टिन पैनेर का कहना है कि ग़ाज़ा के बाज़ारों में गतिविधियां बढ़ रही हैं और खाद्य सामग्री के भंडार भी बढ़ रहे हैं, मगर खाद्य पदार्थों की क़ीमतें आसमान छू रही हैं और बहुत से लोगों की पहुंच से बाहर हैं।
उन्होंने बताया कि एक मुर्ग़ी या मुर्ग़े की क़ीमत 25 डॉलर है, जबकि एक किलो मांस का मूल्य 20 डॉलर है। अब भी विशाल संख्या में लोग खाद्य सहायता, खाद्य पैकेटों और बेकरियों से मिलने वाले ब्रैड पर निर्भर हैं।