Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

युद्धग्रस्त सूडान के कई हिस्सों में अब अकाल की स्थिति

हमें फॉलो करें युद्धग्रस्त सूडान के कई हिस्सों में अब अकाल की स्थिति

UN

, शुक्रवार, 2 अगस्त 2024 (16:55 IST)
Over Half the Population Faces Acute Hunger: गम्भीर कुपोषण से पीड़ित, तीन वर्षीय शिम्बा, यूनीसेफ़ समर्थित पोर्ट सूडान बाल चिकित्सा अस्पताल में चिकित्सीय दूध पी रही है।

वैश्विक खाद्य असुरक्षा पर गुरुवार को जारी एक नई रिपोर्ट के अनुसार युद्धग्रस्त सूडान के कई इलाक़े अब अकाल की चपेट में हैं और कम से कम अगले दो महीने तक यही स्थिति रहने वाली है।

एकीकृत खाद्य सुरक्षा चरण वर्गीकरण (IPC) की अकाल समीक्षा समिति की नवीनतम रिपोर्ट में कहा गया है कि विरोधी सैन्य गुटों के बीच 15 महीने से जारी संघर्ष ने "मानवीय पहुंच को गम्भीर रूप से बाधित किया है और उत्तरी दारफ़ूर के कुछ हिस्सों को अकाल की स्थिति में धकेल दिया है। इससे ख़ासतौर पर आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों (IDPs) का ज़मज़म शिविर प्रभावित हुआ है।"

यूएन एजेंसियों क्षेत्रीय साझीदारों और सहायता संस्थाओं के साथ मिलकर तैयार की गई इस वैश्विक रिपोर्ट में खाद्य असुरक्षा को पाँच चरणों में बांटा गया है। इसका पांचवा चरण उस स्थिति में अकाल की ओर इशारा करता है, जब पांच में से व्यक्ति या फिर परिवार, भोजन की गम्भीर कमी या भुखमरी का सामना कर रहा हो।

ज़मज़म शिविर में विनाशकारी स्थिति : ज़मज़म शिविर, उत्तरी दारफ़ूर की राजधानी, अल फ़शर से लगभग 12 किलोमीटर दक्षिण की ओर स्थित है। यह सूडान के सबसे विशाल आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों (IDPs) के शिविरों में से एक है, जहां पिछले कुछ हफ़्तों में लगभग 5 लाख लोगों के आने से आबादी तेज़ी से बढ़ी है।

रिपोर्ट के अनुसार, "अल फ़शर शहर में बढ़ती हिंसा से बहुत गहरे व कष्टदायी स्तर पर तबाही हो रही है। "रिपोर्ट में कहा गया है कि लगातार, तीव्र और व्यापक झड़पों के कारण कई निवासी, आईडीपी शिविरों में शरण लेने के लिए मजबूर हो गए है, जहां उन्हें कठोर वास्तविकताओं का सामना करना पड़ता है। बुनियादी सेवाएं या तो बहुत कम हैं, या पूरी तरह नदारद, जिससे विस्थापितों की कठिनाईयां बढ़ रही हैं।

प्रमुख कारक : रिपोर्ट में कहा गया है कि अल फ़शर में अप्रैल के मध्य से लगभग 3 लाख 20 हज़ार लोग विस्थापित हुए हैं। अनुमान है कि इनमें से लगभग डेढ़ से दो लाख लोगों ने, मई के मध्य से सुरक्षा, बुनियादी सेवाओं व भोजन की तलाश में, ज़मज़न शिविर का रुख़ किया है।

IPC की रिपोर्ट के मुताबिक़, “ज़मज़म शिविर में अकाल फैलने के प्रमुख कारक संघर्ष की स्थिति व मानवीय राहत सहायता तक पहुँच की कमी है, और इन दोनों कारकों को ही राजनैतिक इच्छाशक्ति के ज़रिए तुरन्त हल किया जा सकता है।”

मानवीय राहत सहायता तक पहुंच पर लगाए गए प्रतिबंध, जिसमें संघर्षरत पक्षों द्वारा जान-बूझकर रोड़े अटकाना शामिल है – मानवीय सहायता संस्थाओं के राहत कार्यों के विस्तार की क्षमता को गम्भीर रूप से प्रभावित कर रही है।

हालात बदतर होने की सम्भावना : नई रिपोर्ट में मानवतावादी साझीदारों व निर्णयाकों के लिए, सिफ़ारिशों भी पेश की गई है। आईपीसी की रिपोर्ट में अफ़्रीकी देश में भुखमरी का नवीनतम आकलन भी शामिल किया गया है, और इसके पूर्व संस्करणों में इस साल की शुरुआत में अकाल की चेतावनी दी गई थी। रिपोर्ट के अनुसार, "अगर संघर्ष जारी रहा और मानवीय व पूर्ण वाणिज्यिक पहुंच हासिल नहीं हो पाई, तो अकाल की स्थिति बदतर हो सकती है"

चूंकि इस अकाल की मुख्य वजह टकराव हैं, रिपोर्ट में सिफ़ारिश की गई है कि सूडान में सभी संघर्षरत पक्षों के बीच तनाव घटाने व समाधान खोजने के लिए हर तरह के उपाय अपनाए जाने चाहिए।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अल फ़शर इलाक़े एवं पूरे सूडान में लोगों के सामने मौजूद खाद्य सुरक्षा, पोषण व स्वास्थ्य स्थितियों में गिरावट के हल के लिए, मानवीय पहुंच की निरन्तर बहाली के साथ-साथ टकराव ख़त्म करना बेहद आवश्यक है।

निराशाजनक अनुमान : पोर्ट सूडान में डब्ल्यूएफपी समर्थित पोषण केंद्र में राशन लेने के बाद, आठ महीने की एक लड़की का गम्भीर कुपोषण का इलाज किया जा रहा है। अगस्त से अक्टूबर 2024 तक के बीच के अनुमान के मुताबिक़ आईपीसी की चेतावनी है कि भोजन तक पहुंच की निरन्तर कमी, संक्रामक बीमारियों का ख़तरा और स्वास्थ्य देखभाल एवं पोषण सेवाओं तक सीमित पहुंच के कारण स्थिति और भी ख़राब हो सकती है। आईपीसी का कहना है कि जलजनित बीमारियों का जोखिम बढ़ेगा, टीकाकरण के कम कवरेज के कारण ख़सरा फैलने की आशंका रहेगी और बरसात के मौसम से मलेरिया की घटनाओं में वृद्धि हो सकती है।

यह सम्भावनाएं वास्तविकता में तब्दील न हों, इसके लिए आईपीसी रिपोर्ट में अन्य बातों के अलावा, युद्धरत पक्षों द्वारा अस्पतालों, सहायता समूहों और नागरिक बुनियादी ढांचे पर किसी भी हमले को तत्काल रोकने का आग्रह किया गया है. साथ ही, मानवीय एवं वाणिज्यिक संस्थाओं के लिए ग्रेटर दारफ़ूर में और उसके भीतर, निर्बाध पहुँच मार्ग सुनिश्चित करने की सिफ़ारिश की गई है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

अखिलेश का BJP से सवाल, क्या भू-माफियाओं के लिए जनता को बेघर कर देगी सरकार?