2023 में बाल हत्याओं और अपंगता के मामलों में दिल दहला देने वाला इजाफा

UN
शुक्रवार, 14 जून 2024 (15:40 IST)
Shocking rise in child murder cases : ग़ाज़ा में महीनों की इसराइली बमबारी में, इमारतों और बुनियादी ढांचे को भीषण नुक़सान हुआ है। संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2023 में टकराव और युद्धों वाले स्थानों पर बच्चों को असहनीय स्तर की हिंसा का सामना करना पड़ा है और इसमें वर्ष 2022 की तुलना में 21 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वर्ष 2023 में 5 हज़ार 301 बच्चों की मौत हुई, जोकि हर दिन 15 बच्चों के बराबर है।

बच्चे व सशस्त्र टकराव (CAAC) पर यूएन महासचिव की इस नई रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्चों को युद्धक गतिविधियों में भाग लेने के लिए भर्ती किया गया और अग्रिम मोर्चों पर उनका इस्तेमाल भी किया गया, उनके घरों में ही उन पर हमले हुए, स्कूल के रास्ते में उनका अपहरण किया गया, उनके स्कूलों का सैन्य प्रयोग हुआ और उनके डॉक्टरों को निशाना बनाया गया, और इन भयंकर परिस्थितियों की ये सूची बहुत लम्बी है।

रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2023 में युद्धक गतिविधियों में इस्तेमाल के लिए 8 हज़ार 655 बच्चों की भर्ती की गई और 4 हज़ार 356 बच्चों का अपहरण किया गया।

सशस्त्र टकरावों और युद्धों की बदलती प्रकृति, जटिलता और सघनता के साथ-साथ, घनी आबादी में विस्फोटक हथियारों के प्रयोग ने, वर्ष 2023 में बच्चों के मानवाधिकारों के गम्भीर उल्लंघन में बहुत इज़ाफ़ा किया है।

बच्चों और सशस्त्र टकराव (CAAC) पर यूएन महासचिव की इस वार्षिक रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया भर के 26 स्थानों पर साढ़े 22 हज़ार से अधिक बच्चों के मानवाधिकारों के गम्भीर उल्लंघन के लगभग 33 हज़ार मामलों की पुष्टि हुई। रिपोर्ट में हेती और निजेर के बारे में पहली बार जानकारी शामिल की गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्चों को उनके अधिकारों और अन्तरराष्ट्रीय मानवीय और मानवाधिकार क़ानून में संरक्षित सुरक्षाओं की खुलेआम अनदेखी की गई। इनमें बच्चों के जीवन के अधिकार का उल्लंघन भी शामिल है और 11 हज़ार 649 बच्चे या तो मारे गए या अपंग हो गए। वर्ष 2022 के लिए, पिछले साल पेश की गई रिपोर्ट की तुलना में ये 35 प्रतिशत वृद्धि है।

बच्चों के मानवाधिकारों के गम्भीर उल्लंघन के सबसे अधिक मामले इसराइल और इसराइल द्वारा क़ाबिज़ फ़लस्तीनी क्षेत्र, काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य (DRC), म्यांमार, सोमालिया, नाइजीरिया, और सूडान में दर्ज किए गए हैं। रिपोर्ट में पाया गया है कि इसराइल और उसके क़ब्ज़े वाले फ़लस्तीनी क्षेत्रों में युद्ध में बच्चों के मानवाधिकारों के गम्भीर उल्लंघन के मामलों में 155 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है।

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने इस स्थिति पर चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा है, मैं ग़ाज़ा पट्टी, इसराइल और इसराइल द्वारा क़ाबिज़ पश्चिमी तट में बच्चों के विरुद्ध मानवाधिकार के गम्भीर उल्लंघन के मामलों में बेतहाशा वृद्धि और अभूतपूर्व स्तर व सघनता पर हतप्रभ हूं। जबकि मैं सभी पक्षों से, मानवाधिकारों के इन गम्भीर उल्लंघन मामलों को रोके जाने की बार-बार पुकार लगाता रहा हूं।

इस वार्षिक रिपोर्ट में गम्भीर मानवाधिकार उल्लंघनों को अंजाम देने वाले पक्षों की सूची भी प्रकाशित की गई है। जैसाकि पहले ही मीडिया ख़बरों में प्रकाशित हो चुका है, इसराइली सशस्त्र और सुरक्षा बलों को बच्चों को मारने, उन्हें घायल करने और स्कूलों व अस्पतालों पर हमले करने के लिए पहली बार इस सूची में शामिल किया गया है।

हमास और फ़लस्तीनी इस्लामिक जेहाद को भी, बच्चों को मारने उन्हें घायल करने और बच्चों का अपहरण करने के लिए, पहली बार इस सूची में शामिल किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सूडान में युद्ध ने मानवाधिकार उल्लंघन में दिल दहला देने वाली 480 प्रतिशत वृद्धि दिखाई है।

सूडानी सेना और प्रतिद्वन्दी आरएसएफ़ के बीच अप्रैल 2023 में भड़का युद्ध ना केवल जारी है बल्कि सघन हो रहा है और इन दोनों सेनाओं को भी, बच्चों को मारने, उन्हें अपंग बनाने, स्कूलों व अस्पतालों पर हमले करने के लिए, काली सूची में शामिल किया गया है। आरएसएफ़ ने लड़ाई में प्रयोग करने के लिए, बच्चों की भर्ती की है, और उसके अलावा बच्चों के ख़िलाफ़ बलात्कार व अन्य यौन अपराधों को भी अंजाम दिया है।

बच्चों पर कई तरफ़ से चोट : मानवाधिकार उल्लंघन के लगभग 50 प्रतिशत मामलों को सशस्त्र गुटों ने अंजाम दिया, जिनमें वो गुट भी शामिल हैं, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र ने आतंकवादी घोषित किया हुआ है। जबकि अन्य लगभग 50 प्रतिशत मामलों को सरकारी सेनाओं, अज्ञात ताक़तों द्वारा अंजाम दिया गया जिनमें, ज़मीनी विस्फोटक और संवर्धित विस्फोटक सामग्रियां शामिल हैं।

‘बच्चे व सशस्त्र टकराव’ स्थिति के लिए महासचिव की विशेष प्रतिनिधि वर्जीनिया गाम्बा ने कहा है कि वर्ष 2023 में मानवाधिकार उल्लंघन के अत्यन्त गम्भीर हालात का सामना करने वाले बच्चों की संख्या, हमारे लिए सतर्क करने वाली एक पुकार है। हम बच्चों की उम्मीदों पर नाकाम हो रहे हैं। वर्जीनिया गाम्बा ने कहा, ‘मैं अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से, बच्चों को सशस्त्र टकराव और युद्धक हालात से बचाने की ख़ातिर, सार्वभौमिक सहमति के लिए फिर से प्रतिबद्धता दिखाने का आहवान करती हूं।

“और मैं सभी देशों से, अपनी आबादियों को सुरक्षा मुहैया कराने और सशस्त्र टकराव की स्थितियों में बर्ताव पर लागू होने वाले नियमों और मानकों पर अमल करने की अपनी प्राथमिक ज़िम्मेदारी निभाने की पुकार लगाती हूं।
वर्जीनिया गाम्बा ने कहा, “संयुक्त राष्ट्र सशस्त्र टकरावों की स्थितियों में, बच्चों के प्रयोग और दुष्प्रयोग को रोकने के लिए, एक संयुक्त योजना तैयार करने में, टकराव के पक्षों की मदद करने के लिए तैयार है। अनेक देशों में टकराव और युद्ध ने बच्चों को ना केवल विस्थापित किया है, बल्कि उनके अधिकारों का गम्भीर उल्लंघन किया है।

बच्चों के लिए आशा की किरण : रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2023 में, संकटों की संख्या और सघनता में बढ़ोत्तरी के बावजूद, सशस्त्र सेनाओं और गुटों के साथ अतीत में जुड़े 10 हज़ार 600 से अधिक बच्चों को संरक्षण या समाज की मुख्य धारा में घुलने-मिलने के लिए समर्थन मुहैया कराया गया। रिपोर्ट के अनुसार ऐसे बच्चों को समाज की मुख्य धारा में घुलने-मिलने में मदद करना, उनके व्यक्तित्व की बेहतरी और सामाजिक समरसता, आर्थिक विकास, और टिकाऊ शान्ति के लिए बहुत ज़रूरी है।

संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 में पूरी अवधि में टकराव वाली स्थितियों में सम्बद्ध पक्षों के साथ लगातार संवाद बनाए रखा. इनमें बुर्कीना फ़ासो, कैमेरून, मध्य अफ़्रीकी गणराज्य, कोलम्बिया, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, इराक़, इसराइल और इसराइल द्वारा क़ाबिज़ फ़लस्तीनी क्षेत्र, माली, मोज़ाम्बीक़, नाइजीरिया, फ़िलीपीन्स, सोमालिया, दक्षिण सूडान, सीरिया, यूक्रेन और यमन जैसे स्थान शामिल हैं। इनमें से कुछ देशों में किए गए प्रयास तो सशस्त्र टकराव से प्रभावित बच्चों को बेहतर संरक्षण मुहैया कराने पर केन्द्रित उपाय अपनाए गए।

विशेष प्रतिनिधि वर्जीनिया गाम्बा ने कहा, ‘मैं टकराव से सम्बद्ध सभी पक्षों से बच्चों को गम्भीर मानवाधिकार उल्लंघन से बचाने के लिए मेरे साथ और संयुक्त राष्ट्र के साथ, धरातल पर संवाद क़ायम करने की पुकार लगाती हूं। ‘ये सटीक समय है– टिकाऊ शान्ति की दिशा में काम करने का और हमारे बच्चों के लिए एक बेहतर दुनिया बनाने का। किसी भी बच्चे को कभी भी एक सशस्त्र टकराव की चोट नहीं सहनी चाहिए’

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