चुनावी समर में जीत का 'ब्रह्मास्त्र' बनतीं रथयात्राएं

संदीप श्रीवास्तव
शनिवार, 4 फ़रवरी 2017 (17:12 IST)
फैजाबाद। रथयात्रा की हम बात करें तो राजनीतिक पार्टियों ने रथयात्राओं के माध्यम से अपनी चुनावी बिसात बिछाने व जन-जन तक पहुचाने के लिए यूं नहीं चुना, इसका इतिहास भी लगभग दस दशक से अधिक पुराना है। देश में सर्वप्रथम चुनावी रथयात्रा निकलने का करने का श्रेय जाता है आंध्रप्रदेश के एनटी रामाराव को। उन्होंने वर्ष 1982 में चैतन्यम् रथयात्रा निकालकर चुनावी सफलता का नया कीर्तिमान स्थापित किया था, उसके बाद ही राजनीतिक पार्टियों ने रथयात्रा निकलने का चलन ही बना लिया। 
एनटी रामाराव के बाद आंध्रप्रदेश की जयललिता ने भी चुनावी रथ पर सवार होकर सत्ता के सिंहासन का सफर तय किया। उसके बाद भारतीय जनता पार्टी ने रथयात्रा निकलने में नया कीर्तिमान बनाया। उसके रथयात्रा के सारथि समय के साथ बदलते रहे जिनके क्रम कुछ इस प्रकार हैं- पार्टी में रथयात्रा की शुरुआत लालकृष्ण अडवाणी ने की, उसके बाद मुरलीमनोहर जोशी, कल्याणसिंह, राजनाथसिंह, विनय कटियार आदि वर्तमान में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की टीम ने रथयात्रा की सवारी की। 
 
पूर्व में पार्टी को इसका फायदा भी मिला। वर्ष 1990 ने भाजपा द्वारा निकली गई राम रथयात्रा के पूर्व उसके दो ही सांसद थे। यात्रा के बाद 1991 में 120 सांसद व उत्तरप्रदेश की विधानसभा में 221 विधायक चुने गए। रथयात्रा की दौड़ में अन्य पार्टियां भी पीछे नहीं रहीं चाहे वे चौधरी देवीलाल हों या फिर विश्वनाथ प्रताप सिंह या  मुलायम सिंह यादव।  सभी को लगा कि रथयात्रा निकाल कर सीधे जनता से जुड़ा जा सकता है। जनता दल में रहे मुलायमसिंह यादव ने तो क्रांति रथ की अगुवाई कर 208 विधायकों को निर्वाचित कर बड़ी सफलता अर्जित की थी।  
 
इसका अनुसरण कर मुलायमसिंह यादव के युवराज अखिलेश यादव ने पिछली विधानसभा 2012 के चुनाव के पूर्व पुरे उत्तरप्रदेश में रथ यात्रा निकाल कर 224 विधायकों को जीता कर नया कीर्तिमान हासिल किया। 
वे प्रदेश के मुख्यमंत्री भी बने। इसे  2017 के चुनाव में भी जारी रखा है। रथ यात्रा की सवारी कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी के भी दिलों में समाई। उन्होंने भी चुनाव की घोषणा के पूर्व से ही देवरिया से दिल्ली तक किसान रथ यात्रा, राहुल संदेश यात्राएं, भीम ज्योति यात्रा, शिक्षा सम्मान व स्वाभिमान यात्राएं निकाली हैं और सपा से गठबंधन कर 'हमारा हाथ साइकिल के साथ चल रहे हैं'। इन रथयात्राओं के समर में किसको क्या हासिल होता है, किसके नसीब में राजयोग होता है। इसका पता 11 मार्च 2017 को मतगणना के बाद ही चलेगा।

Show comments

जरूर पढ़ें

दिग्विजय और जीतू पटवारी पर FIR दर्ज, जानिए क्‍या है मामला...

ट्रंप को सता रहा है तीसरे विश्व युद्ध का खतरा, कमला हैरिस पर किया बड़ा हमला

लखनऊ के 10 होटलों को बम से उड़ाने की धमकी, 55 हजार डॉलर की मांगी फिरौती

अमित शाह ने बताया, बंगाल में कैसे स्थापित होगी शांति?

पीएम मोदी ने की डिजिटल अरेस्ट की चर्चा, बताया कैसे करें सुरक्षा?

सभी देखें

नवीनतम

स्पेन के पीएम के साथ प्रधानमंत्री मोदी का मेगा रोड शो, वडोदरा से देश को कई सौगातें

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का कर्मचारियों को दीपावली गिफ्ट, जनवरी 2024 से मिलेगा 50% महंगाई भत्ता, DA में 4 फीसदी का इजाफा

Bahraich violence: 4 और आरोपी गिरफ्तार, अब तक दोनों पक्षों से 115 की गिरफ्तारी

अब तिरुपति के इस्कॉन टेंपल को बम से उड़ाने की धमकी, पुलिस प्रशासन में मचा हड़कंप

Share Market Today: सप्ताह के प्रथम दिन शेयर बाजार में लौटी तेजी, Sensex 462 और Nifty 112 अंक चढ़ा

अगला लेख