लखनऊ। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 का आगाज हो चुका है। सभी दल अपनी-अपनी जीत के कयास भर रहे हैं लेकिन वही हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र ऐसी विधानसभा है जहां 36 वर्षों से कांग्रेस का कोई भी प्रत्याशी नहीं जीत सका है। हर बार कांग्रेस किस सीट पर संघर्ष करती हुई नजर आती है। लेकिन फिर भी हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र में सर्वाधिक जीत हासिल करने का रिकॉर्ड अभी भी कांग्रेस के ही पास है।
अगर पिछले रिकार्डो पर नजर डालें तो हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र में 1952 से लेकर 2019 तक 19 बार चुनाव हुए। यहां एक निर्दलीय सहित सभी प्रमुख दलों को जीत अवसर मिला। कांग्रेस 1985 के बाद एक बार भी यहां नहीं जीती, लेकिन सबसे अधिक 7 बार चुनाव जीतने का उसका रिकार्ड कोई भी राजनीतिक पार्टी तोड़ नहीं सकी। ऐसा हम नहीं अब तक के चुनावी आंकड़े बता रहे हैं।
चुनावी आंकड़े पर नजर डालें तो 1952 से 1962 तक लगातार तीन बार कांग्रेस से सुरेंद्र दत्त वाजपेयी विधायक रहे।1969, 1974 और 1980 में कांग्रेस से ही प्रताप नारायन दुबे भी तीन बार विधायक बने,1 985 में जगदीश नारायण शर्मा चुने गए।
कांग्रेस ने 7 बार लगातार जीतने का रिकॉर्ड बना दिया फिर एक ऐसा समय आया कि कांग्रेस को हर चुनाव में असफलता हाथ लगी लेकिन कांग्रेस के रिकॉर्ड को आज तक कोई तोड़ ना पाया।
वही अगर निर्दलीय व अन्य दलों पर नजर डाली तो जनसंघ की ओर से 1967 में जहां बजरंग बली ब्रह्मचारी चुनाव जीते थे, वहीं 1977 में ओंकार नाथ दुबे निर्वाचित हुए थे। इसके बाद भाजपा की साध्वी निरंजन ज्योति ने 2012 का चुनाव जीता।
2017 में भाजपा से अशोक सिंह चंदेल ने और 2019 में भाजपा के युवराज सिंह ने चुनाव जीता। इस तरह जनसंघ ने 2 और भाजपा ने 3 बार चुनाव जीता, लेकिन दोनों को मिलाकर भी देखा जाय तो कांग्रेस के 7 बार चुनाव जीतने का रिकार्ड नहीं टूटा।
बीएसपी को तीन बार चुनाव जीतने का मौका मिला। यहां से शिवचरण प्रजापति ने बीएसपी के टिकट पर 1991, 1996 और 2002 में सफलता हासिल की। सपा की यहां सिर्फ दो बार ही साइकिल चल सकी। सपा के टिकट पर 2007 में अशोक चंदेल तथा 2014 में शिवचरण प्रजापति ने सफलता हासिल की। 1993 में जनता दल व 1999 में अशोक चंदेल ने निर्दलीय चुनाव जीता था। लेकिन 36 वर्षों से जीत का इंतजार कर रही कांग्रेस के 7 बार लगातार जीतने के रिकॉर्ड को कोई भी दल आज तक तोड़ नहीं सका।