उत्तर प्रदेश के मुखिया को सत्ता दिलाने में आधी आबादी की अहम भूमिका रहती आई है। विगत 3 विधानसभा चुनाव परिणाम देखने से पता चलता हैं कि महिला मतदाताओं ने जिस पार्टी पर भरोसा जताया, उसकी ही लखनऊ में सरकार बनी है। जिन दलों को 30% महिला मतदाताओं ने वोट दिया, उनकी सरकार बन गई।
इसी दौरान यह भी ट्रेंड देखने को मिला कि पुरुषों के मुकाबले महिलाएं वोट देने में आगे है, वर्तमान विधानसभा चुनाव के प्रथम चरण और द्वितीय चरण इसके साक्षी हैं। विधानसभा चुनाव में महिला वोटर्स किस पैटर्न पर वोट कर रही है, आइये ये जानने की कोशिश करते हैं।
मेरठ कैंट विधानसभा क्षेत्र की रहने वाली 76 वर्षीय बुजुर्ग मतदाता प्रेमलता का कहना है कि वह हमेशा से अपने मत का प्रयोग करती आ रही है, इस बार भी उन्होंने बीमार होने के बावजूद मतदान किया है। क्योंकि वह बीमार भाजपा सरकार से छुटकारा चाहती है। उम्र के इस पड़ाव पर आकर उनका भाजपा से मोहभंग हुआ है, जबकि वह भाजपा की हार्ड कोर वोटर रही है, लेकिन इस बार रालोद की प्रत्याशी को वोट दी है।
कारण पूछने पर वह दुखी होकर और भारी मन से बोलीं, मैंने अपने अंतिम संस्कार के लिए कुछ पैसे जोड़ के रखे थे। पति का देहांत 21 साल पहले हो गया, बेटा कोई है नही। 4 बेटियां हैं, वह मेरी जिम्मेदारी उठाती हैं। मरण संस्कार के समय पैसे की दिक्कत से बचने 30 हजार रुपए जोड़े, लेकिन नोटबंदी में मेरे पैसे बदल नही पाए क्योंकि मुझे लगता था कि सब झूठ बोल रहे हैं क्योंकि मेरा विश्वास था कि सरकार अपने द्वारा जारी नोटों को चलने से क्यों रोकेगी और कैसे रोक सकती है।
बच्चों ने मुझे बताया भी और पूछा भी क्योंकि उन्हें आभास था लेकिन मैं छिपाए रही और जब तक मेरी समझ में आया तब तक देर हो चुकी थी। वह कहती हैं कि मेरा जमा-जोड़ा इस सरकार ने रद्दी कर दिया। अब मुझे किसी ने बताया कि अगर सरकार बदली तो मेरे नोट फिर से बदल सकते हैं। वह कहती हैं कि भाजपा सरकार की वजह से मेरी जीवन भर जोड़ी पूंजी कागज बन गई। उन्हें विश्वास है कि नई सरकार में पैसे बदल जाएंगे और मेरी मदद होगी।
मेरठ किठौर विधानसभा के ग्रामीण अंचल में रहने वाली मोनू त्यागी का कहना है कि उन्होंने योगी-मोदी के चेहरे पर वोट किया है। भाजपा सरकार आने के बाद महिलाओं को सुरक्षा मिली है, साथ ही मेरठ जिले और यूपी का काफी विकास कार्य हुए हैं। हाईवे, फ्लाईओवर बने और चौराहों का सौंदर्यीकरण हुआ है। इसके अलावा कई जिलों में मेडिकल कॉलेज, स्कूल, कॉलेज बने हैं और कुछ जिलों में यूनिवर्सिटी प्रस्तावित हैं। वही शहर की सड़कें पहले से बेहतर हुई हैं। गांवों में भी सड़कें ठीक हुई हैं। शहरों में बिजली की कटौती अब न के बराबर होती है। उनकी नजर में अपराध और कानून व्यवस्था का मुद्दा सर्वाधिक अहम हैं।
मोनू त्यागी कहती हैं कि पिछली सपा सरकार में महिलाओं और खासकर लड़कियों का सड़क पर निकालना बहुत जोखिम भरा होता था लेकिन योगी जी के मुख्यमंत्री बनने के बाद अपराधियों के हौसले पस्त हुए और उन्हें डर था कि यदि भाजपा की सरकार नहीं आई तो सड़कों पर खुली गुंडागर्दी होगी।
मेरठ दक्षिण विधानसभा क्षेत्र की रहने वाली गृहिणी ऋतु द्विवेदी का कहना है कि उन्होंने भारतीय जनता पार्टी को वोट हिंदूत्व की भावना के चलते दी है। ऋतु का कहना है कि पहले की सरकारों के मुकाबले योगी सरकार ने मजबूत सुरक्षा व्यवस्था दी है। अब किसी भी समय घर से निकलने में डर नहीं लगता। पुलिस व अन्य हेल्पलाइन नंबर पर शिकायत करने के बाद तुरंत सहायता मिलती है। मनचलों पर लगाम लगी है, एंटी रोमियो दल का गठन हुआ, स्कूल के बाहर दूसरे धर्म के लोग हाथ में कलावा बांधकर खड़े रहते थे, उनसे छुटकारा मिला है, जबकि 2017 से पहले ऐसा नहीं होता था। इसके अलावा इस सरकार ने प्रभु राम के भव्य मंदिर बनाने का काम शुरू कर पुण्यकर्म किया है जिसका प्रतिफल उसे मिलना चाहिए।
कंवर बानो ने अपना महत्वपूर्ण वोट समाजवादी पार्टी को दिया है। उनका कहना है कि महंगाई के चलते पूरा जीवन चक्र प्रभावित हुआ है। कंवर कहती है कि गैस सिलेंडर, पेट्रोल-डीजल के साथ-साथ सब्जी, तेल व अन्य खाद्य पदार्थ की महंगाई ने कमर तोड़ दी हैं। जिसके चलते घर चलाने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। सरकार को सबसे पहले महंगाई कम करने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। मंहगाई के मुद्दे के आगे तीन तलाक का मुद्दा गौण है। पहले पेट का भरणपोषण जरूरी है।
उन्होंने बड़े स्पष्ट शब्दों में कहा कि सरकार ने गैस सिलेंडर तो गरीबों को दिए लेकिन गैस के दाम बेतहाशा बढ़ा दिए। आमदनी अठन्नी और खर्चा ढाई रुपए हो गया है। सरकार की गलत नीतियों के चलते महंगाई बढ़ रही है और उन्हें लगता है कि ये सरकार गरीबों की दुश्मन है। जब उनसे पूछा कि गरीबों को सरकार मुफ्त राशन और घर के लिए अनुदान तो दे रही है तो कंवर बानो तपाक से बोलीं कि ये सब तो सिर्फ चुनावों तक का खेल है।
मेरठ मंडल की रहने वाली चंचल गौड़ का कहना है कि वह भाजपा को सपोर्ट करती रही हैं, लेकिन इस बार उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार को वोट दिया है। वह प्रियंका गांधी के नारे- लड़की हूं लड़ सकती हूं से बहुत प्रभावित हैं। उन्होंने इस अभियान की शुरुआत कर विधानसभा चुनाव में 40 प्रतिशत टिकट महिलाओं को दिए हैं। भाजपा सरकार नारी सुरक्षा के एजेंडे पर वोट मांग रही है, लेकिन अभी कानून व्यवस्था में सुधार की बहुत गुंजाइश है।
महिलाएं अभी पूरी भी तरह से खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करतीं। छेड़खानी की घटनाएं हो रही है, अधिकांश पीड़ित महिलाओं की रिपोर्ट अभी भी लिखी नही जाती हैं। योगी सरकार ने जो एंटी रोमियो स्क्वायड की शुरुआत की थी, वो भी अब नहीं दिखती। भाजपा शासन काल में हाथरस, उन्नाव, पीलीभीत जैसे रेप कांड भी जीते जागते उदाहरण हैं।
चंचल कहती हैं कि कांग्रेस पार्टी ही एकमात्र ऐसी पार्टी है जो कभी धर्म और संप्रदाय की राजनीति नहीं करती बल्कि आम आदमी के उन्नयन और देश के विकास की बात करती हैं जबकि वर्तमान सरकार ने रोजगार छीनकर लोगों को भिखारी बना दिया है।
इसी तरह चुनाव के प्रारंभिक चरणों में महिलाओं ने हर जगह अपनी स्वयं की सोच पर मतदान किया है। उनकी अपनी सोच है और प्राथमिकताएं।
ऐसी बहुत सी महिलाएं भी मिलीं जिन्होंने अपने परिवार के पुरुषों का अनुसरण नहीं किया बल्कि वे चुपचाप अपनी सोच से मतदान कर जागरूकता का परिचय दिया। भले ही एसी महिलाएं सामने नहीं आना चाहतीं लेकिन उनका सच उनके चेहरे पर गर्वीली मुस्कान से स्पष्ट दिखाई देता है। फिलहाल नतीजों के लिए 10 मार्च का इंतजार करना ही पड़ेगा।