नज़्म : मैं ईद क्या मनाऊँ!

Webdunia
शायर - सीमाब अकबराबाद ी

WDWD
तख़रीब की घटाएँ घनघोर छा रही हैं
सनकी हुई हवाएँ तूफ़ाँ उठा रही हैं
नाख़्वास्ता बलाएँ दुनिया पे आ रही हैं
ऐसी हमा-हमी में मैं लुत्फ़ क्या उठाऊँ
मैं ईद क्या मनाऊँ

लाखों मकाँ हैं ऐसे जिनके मकीं नहीं हैं
जो मरकज़े-नज़र थे वो अब कहीं नहीं हैं
वो हमनवा नहीं हैं, वो हमनशीं नहीं हैं
साज़े-हयात के अब नग़मे किसे सुनाऊँ
मैं ईद क्या मनाऊँ

इंसानियत जहाँ में पामाल हो रही है
रूहानियत भी अपने माज़ी को रो रही है
सच्ची ख़ुशी अदम के झूलों में सो रही है
झूटी ख़ुशी मनाकर कब तक फ़रेब खाऊँ
मैं ईद क्या मनाऊँ

पेशकश : अज़ीज़ अंसारी

Show comments

सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है आंवला और शहद, जानें 7 फायदे

थकान भरे दिन के बाद लगता है बुखार जैसा तो जानें इसके कारण और बचाव

गर्मियों में करें ये 5 आसान एक्सरसाइज, तेजी से घटेगा वजन

वजन कम करने के लिए बहुत फायदेमंद है ब्राउन राइस, जानें 5 बेहतरीन फायदे

गर्मियों में पहनने के लिए बेहतरीन हैं ये 5 फैब्रिक, जानें इनके फायदे

फ़िरदौस ख़ान को मिला बेस्ट वालंटियर अवॉर्ड

01 मई: महाराष्ट्र एवं गुजरात स्थापना दिवस, जानें इस दिन के बारे में

चित्रकार और कहानीकार प्रभु जोशी के स्मृति दिवस पर लघुकथा पाठ

गर्मियों की शानदार रेसिपी: कैसे बनाएं कैरी का खट्‍टा-मीठा पना, जानें 5 सेहत फायदे

Labour Day 2024 : 1 मई को क्यों मनाया जाता है मजदूर दिवस?