नज़्म : शायर अख्तर शीरानी

नज़्म

Webdunia
शुक्रवार, 6 जून 2008 (15:39 IST)
' आह! वो रातें, वो रातें याद आती हैं मुझे'
आह, ओ सलमा! वो रातें याद आती हैं मुझे
वो मुलाक़ातें, वो बातें याद आती हैं मुझे
हुस्न-ओ-उलफ़त की वो घातें याद आती हैं मुझे
आह! वो रातें वो----------

जब तुम्हारी याद में दीवाना सा रहता था मैं
जब सुकून-ओ-सब्र से बगाना सा रहता था मैं
बेपिए मदहोश सा, दीवाना सा रहता था मैं
आह! वो रातें वो---------

जब तुम्हारी जुस्तुजू बेताब रखती थी मुझे
जब तुम्हारी आरज़ू बेख्वाब रखती थी मुझे
मिस्ल-ए-मौज-ए-शोला-ओ-सीमाब रखती थी मुझे
आह! वो रातें वो----------

मुनतज़िर मेरी, जब अपने बाग़ में रहती थीं तुम
हर कली से अपने दिल की दास्ताँ कहती थीं तुम
नाज़नीं होकर भी नाज़-ए-आशिक़ी सहती थी तुम
आह वो रातें वो--------

सर्दियों की चाँदनी, शबनम सी कुमलाती थी जब
शबनम आकर चार सू मोती से बरसाती थी जब
बाग़ पर इक धुंदली धुंदली मस्ती छा जाती थी जब
आह! वो रातें वो-----------

जब तुम आजाती थीं,बज़ुल्फ़-ए-परेशाँ ता कमर
इत्र पैमाँ ता बज़ानू, सुम्बुलिस्ताँ ता कमर
मुश्क आगीं ता बदामाँ, अम्बर अफ़शाँ ता कमर
आह! वो रातें वो रातें, वो रातें याद आती हैं मुझे
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

गुप्त नवरात्रि पर अपनों को शेयर करें ये 5 शुभकामना संदेश

कद्दू के बीज ज्यादा खाना पड़ सकता है भारी, जानिए कितनी मात्रा में खाने से होता है फायदा

मानसून में क्यों बढ़ जाता है आई फ्लू का खतरा, जानिए लक्षण और ऐसे करें बचाव

सिर्फ नमक ही नहीं, इन वजहों से भी बढ़ता है ब्लड प्रेशर

बारिश के मौसम पर सबसे खूबसूरत 10 लाइन

सभी देखें

नवीनतम

इन ब्लड ग्रुप वाले लोगों को लगती है बहुत ज्यादा गर्मी, जानिए कारण

सफेद चीनी छोड़ने के 6 जबरदस्त फायदे, सेहत से जुड़ी हर परेशानी हो सकती है दूर

ब्रेन पावर बढ़ाने वाले 5 बेस्ट वेजिटेरियन फूड सप्लिमेंट्स आज ही करें ट्राई, जानिए फायदे

जगन्नाथ भगवान के नामों से प्रेरित सुंदर और शुभ बेबी बॉय नेम्स

क्या अपने पालतू जानवर के साथ एक बेड पर सोना है सही? जानिए क्या कहते हैं विशेषज्ञ