रेहबर जोनपुरी के क़तआत

देहशत गर्दी (आतंकवाद) के ख़िलाफ़ क़तआत

Webdunia
शनिवार, 23 अगस्त 2008 (15:00 IST)
Aziz AnsariWD
1. अदीबो, शाइरो, दानिशवरो तुम से गुज़ारिश है
वतन ख़तरे में है, अपने क़लम का ज़ोर दिखलाओ
ज़मीं हिन्दोस्ताँ की तरबतर है ख़ूने नाहक़ से
उठो दहशतगरों की राह में दीवार बन जाओ

2. है मक़सद कौनसा दहशतगरों का
जो ये बेवपार करते हैं सरों का
यक़ीनन हैं ये अंधियारों के पाले
उजाला छीनते हैं जो घरों का

3. हमारे सामने है मुम्बई के क़त्ल का मंज़र
हम ऎसी बुज़दिली पर रंज का इज़हार करते हैं
किसी मज़हब के हों, लेकिन वो इंसाँ हो नहीं सकते
जो दहशतगर्दियों से ज़िन्दगी दुश्वार करते हैं

4. कशमीर हमारा है ये हर इक को पता है
साया भी वहाँ ग़ैर का पड़ने नहीं देंगे
जिस वादिएगुलज़ार को सींचा है लहू से
हम उसको बचाएँगे उजड़ने नहीं देंगे

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