क़तआत : एजाज़ अफ़ज़ल

Webdunia
मंगलवार, 20 मई 2008 (12:21 IST)
पेशकश : अज़ीज़ अंसारी

1. तुम्हारे घर में दरवाज़ा है लेकिन
तुम्हें खतरे का अंदाज़ा नहीं है
हमें खतरे का अंदाज़ा है लेकिन
हमारे घर में दरवाज़ा नहीं है

2. हम को देखे तो कौन मानेगा
बाग़ में बूद-ओ-बाश करते हैं
दोस्ती है घने दरख्तों से
और साया तलाश करते हैं

3. सैकड़ों मसअले हैं दरिया के
कोई किन किन का हल तलाश करे
जिसको गिरदाब से शिकायत है
वो जज़ीरे में बूद-ओ-बाश करे

4. बेकसों का हमनवा होता है कौन
लंतरानी हांकने वाले बहुत
कोई खुल कर सामने आता नहीं
रोज़नों से झांकने वाले बहुत

5. हज़ारों सरहदों की बेड़ियाँ क़दमों से लिपटी हैं
हमारे पांव को भी पर बना देता तो अच्छा था
परिन्दों ने कभी रोका नहीं रस्ता परिन्दों का
खुदा दुनिया को चिड़ियाघर बना देता तो अच्छा था
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

पुनर्जन्म के संकेतों से कैसे होती है नए दलाई लामा की पहचान, जानिए कैसे चुना जाता है उत्तराधिकारी

हिंदू धर्म से प्रेरित बेबी गर्ल्स के अ से मॉडर्न और यूनिक नाम, अर्थ भी है खास

बिना धूप में निकले कैसे पाएं ‘सनशाइन विटामिन’? जानिए किन्हें होती है विटामिन डी की कमी?

क्या दुनिया फिर से युद्ध की कगार पर खड़ी है? युद्ध के विषय पर पढ़ें बेहतरीन निबंध

शेफाली जरीवाला ले रहीं थीं ग्लूटाथियोन, क्या जवान बने रहने की दवा साबित हुई जानलेवा!

सभी देखें

नवीनतम

महाराष्‍ट्र की राजनीति में नई दुकान... प्रोप्रायटर्स हैं ठाकरे ब्रदर्स, हमारे यहां मराठी पर राजनीति की जाती है

खाली पेट पेनकिलर लेने से क्या होता है?

बेटी को दीजिए ‘इ’ से शुरू होने वाले ये मनभावन नाम, अर्थ भी मोह लेंगे मन

चातुर्मास: आध्यात्मिक शुद्धि और प्रकृति से सामंजस्य का पर्व

कॉफी सही तरीके से पी जाए तो बढ़ा सकती है आपकी उम्र, जानिए कॉफी को हेल्दी बनाने के कुछ स्मार्ट टिप्स