X
✕
समाचार
मुख्य ख़बरें
राष्ट्रीय
अंतरराष्ट्रीय
प्रादेशिक
मध्यप्रदेश
छत्तीसगढ़
गुजरात
महाराष्ट्र
राजस्थान
उत्तर प्रदेश
क्राइम
फैक्ट चेक
ऑटो मोबाइल
व्यापार
मोबाइल मेनिया
बॉलीवुड
बॉलीवुड न्यूज़
हॉट शॉट
मूवी रिव्यू
वेब स्टोरी
पर्यटन
आने वाली फिल्म
खुल जा सिम सिम
बॉलीवुड फोकस
आलेख
सलमान खान
सनी लियोन
टीवी
मुलाकात
धर्म-संसार
एकादशी
श्री कृष्णा
रामायण
महाभारत
व्रत-त्योहार
धर्म-दर्शन
शिरडी साईं बाबा
श्रीरामचरितमानस
आलेख
सनातन धर्म
लाइफ स्टाइल
वीमेन कॉर्नर
सेहत
योग
NRI
मोटिवेशनल
रेसिपी
नन्ही दुनिया
पर्यटन
रोमांस
साहित्य
श्रीरामचरितमानस
ज्योतिष
दैनिक राशिफल
रामशलाका
राशियां
आज का जन्मदिन
आज का मुहूर्त
लाल किताब
वास्तु-फेंगशुई
टैरो भविष्यवाणी
चौघड़िया
धर्म संग्रह
इंदौर
मध्यप्रदेश
क्रिकेट
अन्य खेल
खेल-संसार
ज्योतिष 2025
काम की बात
श्रीराम शलाका
एक्सप्लेनर
क्राइम
रामायण
महाभारत
फनी जोक्स
चुटकुले
वीडियो
फोटो गैलरी
अन्य
Hindi
English
தமிழ்
मराठी
తెలుగు
മലയാളം
ಕನ್ನಡ
ગુજરાતી
समाचार
बॉलीवुड
धर्म-संसार
लाइफ स्टाइल
श्रीरामचरितमानस
ज्योतिष
धर्म संग्रह
इंदौर
मध्यप्रदेश
क्रिकेट
ज्योतिष 2025
काम की बात
श्रीराम शलाका
एक्सप्लेनर
क्राइम
रामायण
महाभारत
फनी जोक्स
वीडियो
फोटो गैलरी
अन्य
ग़ज़ल : बहादुर शाह ज़फ़र
Webdunia
न किसी की आँख का नूर हूँ, न किसी के दिल का क़रार हूँ
जो किसी के काम न आ सके मैं वो एक मुश्त-ए-ग़ुबार हूँ
मेरा रंग-रूप बिगड़ गया, मेरा यार मुझसे बिछड़ गया
जो चमन खिज़ाँ से उजड़ गया, मैं उसी की फ़स्ल-ए-बहार हूँ
Aziz Ansari
WD
न तो मैं किसी का हबीब हूँ, न तो मैं किसी का रक़ीब हूँ
जो बिगड़ गया वो नसीब हूँ, जो उजड़ गया वो दयार हूँ
पए फ़ातेहा कोई आए क्यों, कोई चार फूल चढ़ाए क्यों
कोई आ के शम्मा जलाए क्यों, मैं वो बेकसी का मज़ार हूँ
मैं नहीं हूँ नग़मा-ए-जाँफ़िज़ा, मुझे सुन के कोई करेगा क्या
मैं बड़े बरोग की हूँ सदा, मैं बड़े दुखी की पुकार हूँ
बहादुर शाह ज़फ़र के मुनफ़रीद अशआ र
ए ज़फ़र अब है तुझी तक इंतिज़ाम-ए-सलतनत
बाद तेरे ने वलीएहदी न नाम-ए-सलतनत
इतना न अपने जामे से बाहर निकल के चल
दुनिया है चल-चलाव का रस्ता संभल के चल
गई यक-बयक जो हवा पलट, नहीं दिल को मेरे क़रार है
करूं इस सितम का मैं क्या बयाँ, मेरा ग़म से सीना फ़िगार है
पस-ए-मर्ग मेरे मज़ार पर कोई फ़ातेहा भी पढ़े कहाँ
वो जो टूटी क़ब्र का था निशाँ, उसे ठोकरों से मिटा दिया
अब न दीजे ज़फ़र किसी को दिल
कि जिसे देखा बेवफ़ा देखा
आज़ाद कब करे हमें सय्याद देखिए
रहती है आँख बाब-ए-क़फ़स पर लगी हुई
शाहों के मक़बरों से अलग दफ़्न कीजिये
हम बेकसों को गोर-ए-ग़रीबाँ पसन्द है
तुम्हारे नक़्श-ए-कफ़-ए-पा के बोसे लेने को
ज़मीं पे साए की मानिन्द आफ़ताब आया
चमन से दूर रहा इस क़दर क़फ़स मेरा
कि पोंहची उड़ के न मुझ तक गुल-ए-चमन की बू
कोई पहचानता भी है मुझको
शाह हूँ या गदा ज़फ़र हूँ कौन
क्यों न तड़पे वो हुमा अब दाम में सय्याद के
बैठना दो-दो पहर अब तख्त पर जाता रहा
वेबदुनिया पर पढ़ें
समाचार
बॉलीवुड
ज्योतिष
लाइफ स्टाइल
धर्म-संसार
महाभारत के किस्से
रामायण की कहानियां
रोचक और रोमांचक
Show comments
सभी देखें
जरुर पढ़ें
पुनर्जन्म के संकेतों से कैसे होती है नए दलाई लामा की पहचान, जानिए कैसे चुना जाता है उत्तराधिकारी
हिंदू धर्म से प्रेरित बेबी गर्ल्स के अ से मॉडर्न और यूनिक नाम, अर्थ भी है खास
बिना धूप में निकले कैसे पाएं ‘सनशाइन विटामिन’? जानिए किन्हें होती है विटामिन डी की कमी?
क्या दुनिया फिर से युद्ध की कगार पर खड़ी है? युद्ध के विषय पर पढ़ें बेहतरीन निबंध
शेफाली जरीवाला ले रहीं थीं ग्लूटाथियोन, क्या जवान बने रहने की दवा साबित हुई जानलेवा!
सभी देखें
नवीनतम
महाराष्ट्र की राजनीति में नई दुकान... प्रोप्रायटर्स हैं ठाकरे ब्रदर्स, हमारे यहां मराठी पर राजनीति की जाती है
खाली पेट पेनकिलर लेने से क्या होता है?
बेटी को दीजिए ‘इ’ से शुरू होने वाले ये मनभावन नाम, अर्थ भी मोह लेंगे मन
चातुर्मास: आध्यात्मिक शुद्धि और प्रकृति से सामंजस्य का पर्व
कॉफी सही तरीके से पी जाए तो बढ़ा सकती है आपकी उम्र, जानिए कॉफी को हेल्दी बनाने के कुछ स्मार्ट टिप्स