ग़ालिब के लतीफे : मेरा जूता

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एक दिन सय्यद सरदार मिर्ज़ा शाम को चले आए- जब थोड़ी देर रुक कर जाने लगे तो मिर्ज़ा खुद अपने हाथ में शमादान लेकर आए ताकि वह रोशनी में अपना जूता देख कर पहन लें- उन्होने कहा क़िबला ओ काबा, आपने क्यूं तकलीफ फरमाई- मैं अपना जूता आप पहन लेता-



 

गालिब ने कहा मैं आपका जूता दिखाने को शमादान नहीं लाया, बल्कि इसलिए लाया हूं कि कहीं आप मेरा जूता ना पहन जाएं।

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