देख बहारें होली की

शेरों शायरी

Webdunia

जब फागुन के रंग झमकते हों तब देख बहारें होली की।

और डफ के शोर खड़कते हों तब देख बहारें होली की।

परियों के रंग दमकते हों तब देख बहारें होली की।

खम शीश-ए-जाम छलकते हों तब देख बहारें होली की।

महबूब नशे में छकते हों, तब देख बहारें होली की।

गुलजार खिलें हों परियों के और मजलिस की तैयारी हो।

कपड़ों पर रंग के छीटों से खुश रंग अजब गुलकारी हो।

मुंह लाल, गुलाबी आंखें हों और हाथों में पिचकारी हो।

उस रंग भरी पिचकारी को अंगिया पर तक कर मारी हो।

सीनों से रंग ढलकते हों तब देख बहारें होली की।


- नजीर अकबराबादी
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

इस विंटर सीजन अपनी खूबसूरती को बरकरार रखने के लिए ये 10 ब्यूटी टिप्स जरूर करें फॉलो

एक हफ्ते में कम करना चाहते हैं वजन तो ये डिटॉक्स डाइट अपनाएं, तुरंत दिखेगा असर

बदलते मौसम में एलर्जी की समस्या से हैं परेशान? राहत के लिए अपनाएं ये 5 आयुर्वेदिक उपाय

ठंड के सीजन में फटने लगी है त्वचा? तो अपनाएं सबसे असरदार और नैचुरल उपाय

भारतीय लोगों पेट के आस-पास चर्बी क्यों जमा हो जाती है? जानें कारण और समाधान

सभी देखें

नवीनतम

किसानों की आत्महत्याएं महाराष्ट्र में चुनावी मुद्दा क्यों नहीं बना

बुद्धिजीविता बनाम व्यक्ति निर्माण: संघ की दूरगामी दृष्टि

मजेदार कविता : लेकिन गुस्सा भी आता है

Maharashtra CM: पांच दिसंबर को महाराष्‍ट्र में फडणवीस की ताजपोशी तय

कहीं आप तो नहीं कर रहे झूठ मूठ की भूख के कारण ओवर ईटिंग , जानिए कैसे पहचानें मानसिक भूख और वास्तविक भूख में अंतर