वो बेवफ़ा है हमेशा ही दिल दुखाता है,
मगर हमें तो वही एक शख़्स भाता है
जगह जो दिल में नहीं है मेरे लिए न सही,
मगर ये क्या कि भरी बज़्म से उठाता है
न जी भर के देखा न कुछ बात की,
बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की
मैं चुप था तो चलती नदी रुक गई,
ज़ुबाँ सब समझते हैं जज़्बात की।
सफ़र में धूप तो होगी, जो चल सको तो चलो,
सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो
यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता,
मुझे गिरा के अगर तुम सँभल सको तो चलो।