मेरा सलाम कहियो, अगर नामाबर मिले

ग़ालिब की ग़ज़ल

Webdunia
WD
WD
तस्कीं को हम न रोयें, जो ज़ौक़-ए-नज़र मिले
हूरान-ए-खुल्द में तिरी सूरत मगर मिले

अपनी गली में, मुझको न कर दफ़्न, बाद-ए-कत्ल
मेरे पते से ख़ल्क़ को क्यों तेरा घर मिले

साक़ीगरी की शर्म करो आज, वरना हम
हर शब पिया ही करते हैं मै, जिस क़दर मिले

तुझसे तो कुछ कलाम नहीं, लेकिन ए नदीम
मेरा सलाम कहियो, अगर नामाबर मिले

तुमको भी हम दिखाएँ, कि मजनूँ ने क्या किया
फुर्सत कशाकश-ए-ग़म-ए-पिन्हाँ से गर मिले

लाज़िम नहीं, कि खिज्र की हम पैरवी करें
माना कि इक बुजुर्ग हमें हमसफर मिले

ऐ साकिनाना-ए-कूच : -ए-दिलदार देखना
तुमको कहीं जो 'ग़ालिब' -ए-आशुफ्‍ता सर मिले
Show comments

सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है आंवला और शहद, जानें 7 फायदे

थकान भरे दिन के बाद लगता है बुखार जैसा तो जानें इसके कारण और बचाव

गर्मियों में करें ये 5 आसान एक्सरसाइज, तेजी से घटेगा वजन

वजन कम करने के लिए बहुत फायदेमंद है ब्राउन राइस, जानें 5 बेहतरीन फायदे

गर्मियों में पहनने के लिए बेहतरीन हैं ये 5 फैब्रिक, जानें इनके फायदे

फ़िरदौस ख़ान को मिला बेस्ट वालंटियर अवॉर्ड

01 मई: महाराष्ट्र एवं गुजरात स्थापना दिवस, जानें इस दिन के बारे में

चित्रकार और कहानीकार प्रभु जोशी के स्मृति दिवस पर लघुकथा पाठ

गर्मियों की शानदार रेसिपी: कैसे बनाएं कैरी का खट्‍टा-मीठा पना, जानें 5 सेहत फायदे

Labour Day 2024 : 1 मई को क्यों मनाया जाता है मजदूर दिवस?