शकील बदायूनी

Webdunia
ग़म से कहाँ ऎ इश्क़ मफ़र* है------- छुटकारा
रात कटी तो सुबहा का डर है

तर्के-वफ़ा को मुद्दत गुज़री
आजभी लेकिन दिलपे असर है

आईने में जो देख रहे हैं
ये भी हमारा हुस्ने-नज़र है

ग़म को ख़ुशी की सूरत बख़्शी
इसका भी सेहरा आपके सर है

लाख हैं उनके जलवे जलवे
मेरी नज़र फिर मेरी नज़र है

तुमही समझ लो तुम हो मसीहा* ---हकी म, डॉक्टर
मैं क्या जानूँ दर्द किधर है

आज बफ़ैज़े-नुकता शनासाँ* ------ किसी बात को गहराई से समझने वाला
तंग अदब की राहगुज़र है

फिर भी शकील इस दौर में प्यारे
साहिबे-फ़न है, एहले-हुनर है
Show comments

वर्कआउट करते समय क्यों पीते रहना चाहिए पानी? जानें इसके फायदे

तपती धूप से घर लौटने के बाद नहीं करना चाहिए ये 5 काम, हो सकते हैं बीमार

सिर्फ स्वाद ही नहीं सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है खाने में तड़का, आयुर्वेद में भी जानें इसका महत्व

विश्‍व हास्य दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?

समर में दिखना है कूल तो ट्राई करें इस तरह के ब्राइट और ट्रेंडी आउटफिट

Happy Laughter Day: वर्ल्ड लाफ्टर डे पर पढ़ें विद्वानों के 10 अनमोल कथन

संपत्तियों के सर्वे, पुनर्वितरण, कांग्रेस और विवाद

World laughter day 2024: विश्‍व हास्य दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?

फ़िरदौस ख़ान को मिला बेस्ट वालंटियर अवॉर्ड

01 मई: महाराष्ट्र एवं गुजरात स्थापना दिवस, जानें इस दिन के बारे में