अज़ीज़ अंसारी की ग़ज़ल

Webdunia
WD
WD
झूठ का लेकर सहारा जो उबर जाऊँगा
मौत आने से नहीं शर्म से मर जाऊँगा

सख़्त जाँ हो गया तूफानों से टकराने पर
लोग समझते थे कि तिनकों सा बिखर जाऊँगा

है यक़ीं लौट के आऊँगा मैं फ़तेह बनकर
सर हथेली पे लिए अपना जिधर जाऊँगा

सिर्फ़ ज़र्रा हूँ अगर देखिए मेरी जानिब
सारी दुनिया में मगर रोशनी कर जाऊँगा

कुछ निशानात हैं राहों में तो जारी है सफ़र
ये निशानात न होंगे तो किधर जाऊँगा

जब तलक मुझमें रवानी है तो दरिया हूँ 'अज़ीज़'
मैं समंदर में जो उतरूँगा तो मर जाऊँगा

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

सावन माह में क्या खाएं और क्या नहीं?

वेट लॉस में बहुत इफेक्टिव है पिरामिड वॉक, जानिए चौंकाने वाले फायदे और इसे करने का तरीका

सावन में रचाएं भोलेनाथ की भक्ति से भरी ये खास और सुंदर मेहंदी डिजाइंस, देखकर हर कोई करेगा तारीफ

ऑफिस में नींद आ रही है? जानिए वो 5 जबरदस्त ट्रिक्स जो झटपट बना देंगी आपको अलर्ट और एक्टिव

सुबह उठते ही सीने में महसूस होता है भारीपन? जानिए कहीं हार्ट तो नहीं कर रहा सावधान

सभी देखें

नवीनतम

फाइबर से भरपूर ये 5 ब्रेकफास्ट ऑप्शंस जरूर करें ट्राई, जानिए फायदे

सावन में नॉनवेज छोड़ने से शरीर में आते हैं ये बदलाव, जानिए सेहत को मिलते हैं क्या फायदे

सावन में कढ़ी क्यों नहीं खाते? क्या है आयुर्वेदिक कारण? जानिए बेहतर विकल्प

हर किसी के लिए सुरक्षित नहीं होता आइस बाथ, ट्रेंड के पीछे भागकर ना करें ऐसी गलती

विश्व जनसंख्या दिवस 2025: जानिए इतिहास, महत्व और इस वर्ष की थीम