तेरे माथे पर कोई, मेरा मुक़द्‍दर देखता

Webdunia
अहमद फ़राज़

ND
ND
हर तमाशाई, फ़क़त साहिल से मंज़र देखता।
कौन दरिया को उलटता, कौन गौहर देखता।।

वह तो दुनिया को, मेरी दीवानगी ख़ुश आ गई,
तेरे हाथों में वगरना, पहला पत्‍थर देखता।।

आँख में आँसू जड़े थे, पर सदा तुझको न दी,
इस तवक्को1 पर कि शायद तू पलट कर देखता।।

मेरी क़िस्मत की लकीरें, मेरे हाथों में न थीं,
तेरे माथे पर कोई, मेरा मुक़द्‍दर देखता।।

ज़िंदगी फैली हुई थी, शामे-हिज्राँ2 की तरह,
किसको, कितना हौसला था, कौन जी कर देखता।।

डूबने वाला था, और साहिल पे चेहरों का हुजूम,
पल की मौहलत थी, मैं किसको आँख भरकर देखता।।

तू भी दिल को इक लहू की बूँद समझा है 'फ़राज़',
आँख गर होती तो क़तरे में समंदर देखता।।

1. आशा 2. विरह की साँझ
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

सावन माह में क्या खाएं और क्या नहीं?

वेट लॉस में बहुत इफेक्टिव है पिरामिड वॉक, जानिए चौंकाने वाले फायदे और इसे करने का तरीका

सावन में रचाएं भोलेनाथ की भक्ति से भरी ये खास और सुंदर मेहंदी डिजाइंस, देखकर हर कोई करेगा तारीफ

ऑफिस में नींद आ रही है? जानिए वो 5 जबरदस्त ट्रिक्स जो झटपट बना देंगी आपको अलर्ट और एक्टिव

सुबह उठते ही सीने में महसूस होता है भारीपन? जानिए कहीं हार्ट तो नहीं कर रहा सावधान

सभी देखें

नवीनतम

फाइबर से भरपूर ये 5 ब्रेकफास्ट ऑप्शंस जरूर करें ट्राई, जानिए फायदे

सावन में नॉनवेज छोड़ने से शरीर में आते हैं ये बदलाव, जानिए सेहत को मिलते हैं क्या फायदे

सावन में कढ़ी क्यों नहीं खाते? क्या है आयुर्वेदिक कारण? जानिए बेहतर विकल्प

हर किसी के लिए सुरक्षित नहीं होता आइस बाथ, ट्रेंड के पीछे भागकर ना करें ऐसी गलती

विश्व जनसंख्या दिवस 2025: जानिए इतिहास, महत्व और इस वर्ष की थीम