मेरी ग़ज़ल

- अज़ीज़ अंसारी

Webdunia
ND
ND
जो जैसा है उसको वैसा बोले मेरी ग़ज़ल
आँख पे पट्‍टी बाँध के सबको तोले मेरी ग़ज़ल

जिन राहों पे लोग हमेशा चलने से घबराएँ
उन राहों पर अपना साथी होले मेरी ग़ज़ल

मेहफ़िल में जब लोग सुनें तो अंदर से शरमाएँ
हर मिसरे में भेद सभी के खोले मेरी ग़ज़ल

हार बुरा जब देखे सबका नींद इसकी उड़ जाए
तुम ही कहो फिर चैन से कैसे सोले मेरी ग़ज़ल

पढ़ने सुनने की लोगों को फुरसत कब है अज़ीज़
प्यार का अमृत दिल में कैसे घोले मेरी ग़ज़ल
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

विमान निर्माता बोइंग है ऊंची दुकान, फीके पकवान

बारिश के मौसम पर सबसे खूबसूरत 10 लाइन

क्या कोलेस्ट्रॉल में आलू खाना सही है? जानिए आलू खाना कब नुकसानदायक है?

इन 5 लोगों को नहीं खाना चाहिए चॉकलेट, सेहत पर पड़ सकता है बुरा असर

कैसे होती है विश्व युद्ध की शुरुआत, जानिए क्या हर देश का युद्ध में हिस्सा लेना है जरूरी

सभी देखें

नवीनतम

विश्व मधुमेह जागरूकता दिवस 2025: डायबिटीज से बचना चाहते हैं? इन 7 आदतों को आज ही अपनाएं

ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने में मददगार हैं आसानी से मिलने वाले ये 9 आयुर्वेदिक हर्ब्स

बाल कविता: मैं और मेरी दुनिया

ये है मोबाइल के युग में किताबों का गांव, पढ़िए महाराष्ट्र के भिलार गांव की अनोखी कहानी

रिश्तों की मशीनों में उलझी युवा पीढ़ी, युवाओं को रूकने की नहीं, रुक रुककर जीने की है जरूरत