ग़ज़ल : एम.ए.बहादुर फ़रयाद

Webdunia
गुरुवार, 1 मई 2008 (20:32 IST)
1.
Aziz AnsariWD
ज़ख्न्म दिल के सदा नहीं देते
ग़म भी अब तो मज़ा नहीं देते

इश्क़ वालों को ढूँढना होगा
हुस्न वाले पता नहीं देते

पास रख कर इन्हें करोगे क्या
उनके ख़त क्यूँ जला नहीं देते

दरमियाँ कुछ न कुछ तो रहता है
मुफ़्त में सब हवा नहीं देते

चोट कमज़र्फ़ लोग करते हैं
ख़ानदानी दग़ा नहीं देते

2.
चैन दिल को किसी पहलू नहीं देने वाले
मुझ को ठंडक तेरे गेसू नहीं देने वाले

आप सोने के भी गुलदान में रख दें लेकिन
काग़ज़ी फूल तो ख्नुशबू नहीं देने वाले

चाहे जिस तरह से ज़ख्मों की नुमाइश कर लो
संग दिल आँख से आँसू नहीं देने वाले

उनसे सूरज की तमन्ना का भरम तोड़ भी दो
देख लो माँग के जुगनू नहीं देने वाले

रक़्स करने के लिए आपको एहले ज़िन्दाँ
बेड़ियाँ देंगे ये घुंघरू नहीं देने वाले

अपनी लहरों से ही महरूम ये प्यासे दरिया
पानी क्या चीज़ है बालू नहीं देने वाले

जो नहीं जानते इंसाफ़ के मानी फ़रयाद
हम उन हाथों में तराज़ू नहीं देने वाले

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