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अमेरिका में डेमोक्रेट्स की जीत का भारत पर क्या होगा असर

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, गुरुवार, 5 नवंबर 2020 (14:02 IST)
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव (US President Election) की तस्वीर लगभग साफ हो चुकी है। राष्ट्रपति पद के डेमोक्रेट्‍स जो बिडेन (Joe Biden) जीत के बिलकुल करीब हैं। दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र के चुनाव परिणामों पर स्वाभाविक रूप से सबसे बड़े लोकतंत्र यानी भारत की नजर भी है। 
 
हालांकि अंतिम परिणाम आना शेष है, लेकिन यह तय माना जा रहा है कि इस बार राष्ट्रपति पद पर जो बिडेन बैठने जा रहे हैं और उनकी डिप्टी होंगी कमला हैरिस। सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि डेमोक्रेट्‍स की जीत का भारत पर क्या असर होगा? यह स्वाभाविक भी है। यदि पिछले घटनाक्रमों पर नजर डालें तो उन संकेतों को आसानी से समझा भी जा सकता है। 
 
वर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) और भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) की मुलकातों के दृश्य भारत के सभी लोगों को याद हैं। दोनों ही नेता बहुत ही गर्मजोशी से मिलते थे, एक दूसरे को 'दोस्त' भी कहते थे। चीन और पाकिस्तान के संदर्भ में ही बात करें तो ट्रंप का झुकाव भारत की ओर अधिक था। 'हाउडी मोदी' कार्यक्रम में ट्रंप की मौजूदगी भी इसी ओर इशारा करती थी। लेकिन, क्या यही गर्मजोशी बिडेन के साथ भी देखने को मिलेगी? 
 
दरअसल, यह सवाल इसलिए भी उठ रहा है क्योंकि बिडेन और हैरिस कई मौकों पर ऐसे बयान दे चुके हैं जो भारत सरकार के रुख के ठीक उलट हैं। चाहे वह कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाने का हो या फिर सीएए-एनसीआर का। इन मामलों में डेमोक्रेट्‍स का रुख भारत सरकार के ठीक उलट था। ऐसे में जानकारों का मानना है कि रिश्तों में पहले जैसी गर्माहट न रहे।
 
बिडेन ने सीएए और एनसीआर के समय कहा था कि ये दोनों ही भारत की धर्मनिरपेक्ष परंपरा से मेल नहीं खाते। वे कई बार पाकिस्तान की तरफदारी भी कर चुके हैं, जबकि ट्रंप का रुख इसके ठीक उलट था। माना जाता है कि पाकिस्तान को सैन्य सहायता दिलाने में भी बिडेन की अहम भूमिका रही है। 
डेमोक्रेट्‍स कमला हैरिस ने भी कश्मीर को लेकर कहा था- हम मानवाधिकार उल्लंघन के बारे में बोलते हैं और जहां आवश्यक होता है वहां हम दखल भी देते हैं। भारतीय मूल की कमला कई और मौकों पर भी भारत सरकार के रुख को विपरीत बयान दे चुकी हैं। उनका झुकाव वामपंथ की ओर माना जाता है। ऐसे में कहा जा रहा है कि चीन के मामले में डेमोक्रेट्‍स का रुख ट्रंप सरकार अलग हो सकता है। 
 
खैर, यह भी कहना गलत नहीं होगा कि कुर्सी पर बैठने के बाद विचारधारा का उतना महत्व नहीं होता। तब देश का हित सबसे अहम होता है। ऐसे में अमेरिकी राष्ट्रपति पद पर कोई भी बैठे वह चाहकर भी भारत को अनदेखा नहीं कर पाएगा। क्योंकि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र तो है ही सबसे बड़ा बाजार भी है। ...और फिर चाहे अमेरिका हो या चीन या फिर कोई और देश भारत को अनदेखा करने की भूल नहीं करेगा। 

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