नई दिल्ली। बिना फास्टैग के वाहनों को अब 15 फरवरी तक टोल प्लाजा पर नकद भुगतान की मंजूरी दे दी गई है। 16 फरवरी से सभी वाहनों पर फास्टैग जरूरी हो जाएगा और बगैर फास्टैग वाली गाड़ियों को भारी जुर्माना देना होगा।
अभी भी कई वाहन चालक ऐसे हैं जो FASTag के स्थान पर नकद में टोल देना पसंद करते हैं। फिलहाल 75 से 78 फीसदी के लगभग वाहन चालक FASTag के जरिए टोल चुकाते हैं।
दरअसल, सरकार चाहती है कि 100 प्रतिशत टोल की वसूली FASTag के जरिए हो। इसी के चलते सरकार ने फास्टैग के लिए अलग से टोल पर लाइनें बनाई हैं। बिना फास्टैग वाले वाहन इन लाइनों में घुसते हैं तो उनसे डबल वसूली की जाती है। सरकार इसके जरिए डिजिटल पेमेंट को भी बढ़ावा देना चाहती है।
क्या होता है फास्टैग : फास्टैग इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन तकनीक है। इसमें रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) का इस्तेमाल होता है। वाहनों के विंडस्क्रीन पर लगने वाले विशेष प्रकार के 'टैग' के कारण जैसे ही गाड़ी टोल प्लाजा के नजदीक आएगी तो वहां लगा सेंसर वाहन फास्टैग को ट्रैक कर लेगा।
जैसे ही टोल प्लाजा पर आप पहुंचेंगे, वहां पर आपके फास्टैग खाते से निर्धारित शुल्क अपने आप कट जाएगा। यानी टोल प्लाजा पर आपको रुककर शुल्क जमा नहीं करना पड़ेगा।
दरअसल फास्टैग अकाउंट एक तरह से प्रीपेड अकाउंट होता है। ठीक उसी तरह जिस तरह आप अपने मोबाइल की सेवा जारी रखने के लिए शुल्क चुकाते हैं। रिचार्ज रखने के लिए शुल्क अदा करते हैं। इसमें होगा यह कि जब फास्टैग खाते की राशि खत्म हो जाएगी, उसे रिचार्ज कराना होगा।