अलीगढ़ (यूपी)। तालानगरी अलीगढ़ में मातम पसरा हुआ है। यहां सरकारी शराब के ठेके पर जहरीली शराब बिकने के चलते मौत का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। अब तक 22 लोगों की नकली शराब पीने से मौत हो गई है जबकि 1 दर्जन के करीब ग्रामीणों का अस्पताल में इलाज चल रहा है। मामला बीते शुक्रवार की सुबह का है, जहां कई गांवों से रुदन और चीख-पुकार सुनाई देने लगी, क्योंकि लोधा क्षेत्र के कई गांवों में देसी शराब के नाम पर जहरीली शराब पी गई।
गांव में शराब पीने के चलते मौत की सूचना पर आबकारी विभाग व पुलिस प्रशासन मौके पर पहुंचकर जांच में जुट गया। एक गांव से दूसरे गांव में मौत की सूचना पर अधिकारियों के हाथ-पांव फूलने लगे। अलीगढ़ में जहरीली शराब पीने से ग्रामीणों की मौत का ग्राफ बढ़ता चला गया। यह देखकर प्रदेश के मुख्यमंत्री की आंखें तिरछी होने लगीं और उन्होंने जिले के आलाधिकारी को फटकार लगाते हुए मामले की जांच के निष्पक्ष रूप से करते हुए गुनहगारों पर लगाम कसने के लिए रासुका लगाने के आदेश दिए हैं।
इस मामले में सबसे पहले सरकार की तरफ से गाज आबकारी विभाग पर गिरी। तत्काल प्रभाव से सरकार की तरफ से दोषी जिला आबकारी धीरज सिंह, आबकारी निरीक्षक क्षेत्र 3 राजेश कुमार यादव और प्रधान आबकारी सिपाही अशोक कुमार को निलंबित किया गया। वहीं इन निलंबित तीनों लोगों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के आदेश भी दिए गए हैं। वहीं अलीगढ़ पुलिस प्रशासन ने शराब तस्करी रैकेट से जुड़े अब तक 6 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है और अब आरोपियों पर रासुका लगाने की तैयारी चल रही है।
पुलिस गिरफ्त में आया एक आरोपी ऋषि शर्मा वर्तमान में सत्ताधारी जुड़ा हुआ है और निवर्तमान ब्लॉक प्रमुख का पति भी है। अलीगढ़ में जिस कंपनी की देसी शराब का सेवन करने से कोतवाली लोधा क्षेत्र के गांव करसुआ, अंडला, कोतवाली जवा कस्वा के 22 लोगों की मौत हो चुकी है, यह शराब अलीगढ़ के रामघाट रोड स्थित वेब डिस्टलरीज कंपनी में नकली शराब तैयार हुई गई थी। इस पर गुड इवनिंग ब्रांड का लैबल लगाकर सरकारी देसी शराब के ठेके से अवैध शराब गांव में बेची जा रही थी। जिला प्रशासन ने घटना के बाद 5 शराब के ठेकों को सीज करते हुए जिले के लगभग 500 शराब के ठेकों को 24 घंटे तक बंद रखने के आदेश पारित किए हैं।
गौरतलब है कि वर्ष 2021 में उत्तरप्रदेश में जहरीली शराब कांड की यह 6ठी बड़ी वारदात है। यूपी में जहरीली शराब के कारण लोगों की मौत का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। अब तक प्रतापगढ़, प्रयागराज, चित्रकूट, बांदा, आंबेडकर नगर, बुलंदशहर, हाथरस में भी जहरीली शराब पीने से ग्रामीणों की मौत हो चुकी है।
अलीगढ़ (हाथरस) में जहरीली शराब का यह कोई पहला मामला नहीं है। अप्रैल 2021 में कुलदेवता को शराब चढ़ाकर प्रसाद स्वरूप वितरित की गई थी जिसे पीने से 6 लोगों की मौत हुई थी। इस जहरीली शराब के लिए भी जांच कमेटी गठित की गई। शराब जहरीली की इस घटना को 1 माह ही हुआ है और फिर से गांव में जानलेवा शराब ने 22 लोगों की जिंदगी लील ली है।
ऐसे में प्रश्न उठता है कि सरकारी देसी शराब के ठेके पर नकली शराब कैसे पहुंची? बड़ी मात्रा में जिले के भीतर ही जहरीली शराब का कारोबार चल रहा था, तब आबकारी विभाग कहां था? पुलिस तंत्र को मुखबिर से इस अवैध कारोबार की जानकारी कैसे नही मिली? अब देखना होगा कि नकली शराबरूपी जहर का कारोबार करने वाले पुलिस के चाबुक से कैसे बच पाते हैं?