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मेरठ जेल में बंद महिला कैदियों के नौनिहालों का इंग्लिश स्कूल में एडमिशन

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हिमा अग्रवाल

Meerut Jail News: 'सर्व शिक्षा अभियान, पढ़ेंगे बच्चे-बढ़ेंगे बच्चे, शिक्षा है सबका अधिकार' स्लोगन को सार्थक करने की अनोखी पहल मेरठ जिले में देखने को मिली है। मेरठ प्रशासन और जेल प्रशासन ने महिला बंदियों के साथ जेल में रह रहे बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में एडमिशन दिलवाया है। मेरठ कारागार में बंद महिला कैदियों के 7 बच्चों की निशुल्क शिक्षा और सुरक्षा का बीड़ा जेल प्रशासन ने अपने कंधों पर लिया है। 
 
मेरठ के चौधरी चरण सिंह जिला कारागार में 302, 307 के मामले में विचाराधीन महिला बंदी अपने छोटे बच्चों के साथ है। ऐसे में उनके बच्चों का भविष्य उज्ज्वल बनाने के लिए जेल प्रशासन ने एक अनूठी मिसाल पेश की है। जेल में रह रहे तेजतर्रार 7 बच्चों को इंग्लिश स्कूल में एडमिशन दिलाया गया है। इन बच्चों को कारागार से ले जाने और लाने के लिए सरकारी वैन भी लगाई गई है, सुरक्षा की दृष्टि से महिला सुरक्षा गार्ड भी वैन में मौजूद रहेंगे।
 
7 बच्चे जाएंगे स्कूल : मेरठ सिविल लाइन क्षेत्र के साकेत स्थित एस पब्लिक स्कूल में इन बच्चों को एडमिशन दिलाया गया है। स्कूल प्रबंधन इन बच्चों को निशुल्क शिक्षा देगा। स्कूल प्रबंधन ने इन होनहार छात्रों को सुनहरा भविष्य तैयार करने के लिए एक मैदान दिया है। कारागार के 7 छात्र प्रतिदिन स्कूल की ड्रेस पहनकर सुबह 7.30 बजे सरकारी वाहन से जाते हैं और 12:30 बजे वापस जेल में मां के पास लौट आते हैं। 
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मेरठ डीएम का कहना है कि मासिक निरीक्षण के दौरान महिला बंदियों के बच्चों को मन लगाकर पढ़ता हुआ देखकर मन विचार आया कि इन्हें गुणवत्तापरक शिक्षा दी जाए। जिसके लिए जेल के आसपास स्कूलों को सर्च किया गया। जिसमें से क्वालिटी एजुकेशन के लिए एस पब्लिक स्कूल को चुना गया। स्कूल प्रबंधन से इन बच्चों की पढ़ाई की चर्चा हुई और वह सहर्ष अपराध में निरुद्ध बंदियों के बच्चों को पढ़ाने के लिए तैयार हो गए।
 
डीएम ने कहा कि यह एक अच्छा मिशन है, नन्हे-मुन्नों को स्कूल ड्रेस में देखना एक सुखद अहसास है। आगे भी इस मुहिम को जारी रखेंगे। जो भी बच्चा बाहर जाकर पढ़ना चाहेगा उसे हमारे द्वारा प्रमोट किया जाएगा। जेल में रह रहे इन बच्चों को तैयार हुआ देखकर पुलिस-प्रशासन और जेल प्रबंधन जहां गदगद है, वहीं इन नौनिहालों की माताएं बेहद प्रसन्न हैं कि उनके बच्चों के हाथों में किताब और कलम है, जिससे वह अपने उज्ज्वल भविष्य की इबारत लिख सकेंगे।
Edited by: Vrijendra singh Jhala
 

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