लखनऊ। उत्तर प्रदेश में दोबारा प्रदेश में सरकार बनाने के बाद योगी आदित्यनाथ के तेवर बदले बदले से नजर आ रहे हैं। इस बार उनका रुख सरकार के मंत्रियों पर भी बेहद सख्त है। उन्होंने मंत्रियों को कड़े दिशा निर्देश जारी करते हुए कहा कि जिस विभाग की जिम्मेदारी जिस मंत्री के पास है उस विभाग की जवाबदेही भी खुद की होगी।
कैबिनेट के सामने विभाग का प्रेजेंटेशन मंत्रियों को ही देना होगा, अपर मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव सिर्फ सहयोग के लिए उपस्थित रहेंगे। इससे एक बात तो स्पष्ट हो गई है कि जनता के एग्जाम में पास तो हो गए लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कठिन परीक्षा को भी पास करना होगा। तब जाकर कहीं सरकार में अपनी कुर्सी बचाए रखना मंत्रियों के लिए आसान होगा।
पुरानी गलतियां नहीं दोहराना चाहते मुख्यमंत्री : सूत्रों की माने तो 2017 में हुई गलतियों को दोबारा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नहीं दोहराना चाहते हैं। इसके चलते उन्होंने 2022 में दोबारा सरकार बनाने व शपथ ग्रहण के ठीक बाद से कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है।
माना जा रहा है कि पिछली सरकार में कई विभागों में खामियां ऐसी रही जिसक जवाबदेही लेने के लिए कोई भी तैयार नहीं दिख रहा था। इसे लेकर कई बार मुख्यमंत्री मंत्रियों से लेकर अधिकारियों तक अपनी नाराजगी भी जाहिर कर चुके थे। अब ऐसी स्थिति दोबारा सामने ना आए इसको देखते हुए उन्होंने स्पष्ट तौर पर विभाग की समस्त जिम्मेदारी व जवाबदेही मंत्रियों की ही तय कर दी है और अधिकारियों को नाम मात्र सहयगियों के रूप में रखा है।
हुए फेल तो मुख्यमंत्री दिखा देंगे बाहर का रास्ता : सूत्रों की मानें तो 2022 विधानसभा चुनाव में दोबारा चुनकर सरकार बनाने वाले योगी आदित्यनाथ बेहद कड़े रूप में दिख रहे हैं और उन्होंने 100 दिन का एजेंडा भी तैयार कर दिया है। माना जा रहा है यह 100 दिन का एजेंडा मंत्रियों से लेकर अधिकारियों के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है।
सूत्र बताते हैं कि मंत्री पद पर बने रहने के लिए 100 दिन के एजेंडे में मंत्रियों को पास होना बेहद जरूरी है। नहीं तो मुख्यमंत्री कड़ा फैसला लेते हुए मंत्रियों को बाहर का रास्ता भी दिखा सकते हैं। उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि जनहित से जुड़ी योजनाएं हर हाल में जनता तक पहुंचने चाहिए इसकी जवाबदेही और जिम्मेदारी मंत्री अपने कंधों पर खुद ले।