कानपुर। पूरे देश में कानपुर का नाम रोशन करने वाले सत्यप्रकाश श्रीवास्तव उर्फ राजू श्रीवास्तव उर्फ 'गजोधर भैया' आज दुनिया को अलविदा कह गए। लेकिन जाते-जाते वे अपनी यादों को छोड़ गए हैं जिसके चलते जहां पूरे देश में उनके जाने से शोक की लहर दौड़ गई है तो वहीं कानपुर में भी अपने गजोधर के चले जाने का दर्द साफतौर पर दिखाई पड़ रहा है और कानपुर में शोक की लहर दौड़ गई है।
घर पर लगा यार-दोस्तों का तांता: इन सबके बीच राजू श्रीवास्तव के बचपन के यार-दोस्तों का तांता उनके घर के बाहर लगने लगा है और घर के बाहर मौजूद उनके मित्र उनकी पुरानी बातें साझा कर भावुक हो रहे हैं। घर के बाहर मौजूद राजू श्रीवास्तव के भाई के साथ उनके मित्र उनके संघर्ष को बयां कर रहे हैं और बता रहे हैं कि कानपुर के गजोधर का जीवन संघर्ष में था जिसके चलते राजू श्रीवास्तव ने कानपुर की गलियों में बहुत संघर्ष किया है।
कानपुर के साइट नंबर स्थित सामुदायिक केंद्र में राजू ने पहले सार्वजनिक कार्यक्रम में भाग लिया था। राजू अमिताभ बच्चन की मिमिक्री बखूबी निभाते थे और कॉलेज के दिनों में लोगों का दिल जीत लेते थे। उनके मित्र बताते हैं कि बेहद सौम्य स्वभाव के राजू श्रीवास्तव थे और वे लोगों को हंसाने के लिए तभी जोकर बन जाते थे तो कभी-कभी मंजीरा और ढोलक बजाने लगते थे। वे लोगों को हंसाने के लिए कुछ भी कर सकते थे।
राजू श्रीवास्तव के मित्र ने बताया कि वे अमिताभ बच्चन की बेहद बड़े फैन थे जिसके चलते हम सभी मित्र मिलकर चोरी-चुपके अमिताभ बच्चन की फिल्में देखने जाते थे और वहां से आने के बाद हूबहू राजू, अमिताभ बच्चन की नकल उतारकर हम सबका मनोरंजन करते थे।
मित्र बताते हैं कि जैसे-जैसे राजू श्रीवास्तव तरक्की की ओर बढ़ते गए, उनका अंदाज कभी नहीं बदला और वे छोटे से लेकर बड़े मंच तक कनपुरिया अंदाज में ही दिखाई पड़े जिसके चलते आज हर जगह पर कनपुरिया अंदाज की ही चर्चा होती है। उनके मित्र कहते हैं कि राजू तो चले गए लेकिन पूरे विश्व के हर दिल में कनपुरिया अंदाज छोड़ गए हैं।